उपराष्ट्रपति ने आदिवासी महोत्सव का उदधाटन किया ।


 


नर्द दिल्ली New Delhi , 15 फरवरी । उपराष्ट्रपति  एम वेंकैया नायडू ने आज रामनगर Ramnagar  में आयोजित वार्षिक आदिवासी महोत्सव के अवसर पर कहा कि ' प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषित पर्यावरण से त्रस्त विश्व, जब प्रकृति सम्मत स्थाई विकास के रास्ते खोज रहा है, हमारे जनजातीय समुदायों के पास, पीढ़ियों के अनुभव से प्राप्त वह ज्ञान और विद्या है जो भविष्य के लिए स्थाई, समावेशी और प्रकृति सम्मत विकास सुनिश्चित कर सकता है।'
 


उन्होंने कहा कि इन समुदायों ने पीढ़ियों से एक पर्यावरणीय नैतिकता, Environmental Ethics, विकसित की है, जो आज के तथाकथित सभ्य समाज के लिए भी अनुकरणीय है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह आवश्यक है कि जनजातियों के पारंपरिक ज्ञान और शिल्प को संरक्षित रखते हुए भी उन्हें राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा में बराबर के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराए जाएं। जनजातीय समुदाय के विकास की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि आवश्यक है कि प्रशासन और स्थानीय समुदाय के बीच निरंतर रचनात्मक संवाद हो जिसमें विकास तथा परम्परा के बीच संवेदना और संतुलन की आवश्यकता होगी। श्री नायडू ने कहा कि हमारे जनजातीय समुदायों का विकास न केवल हमारे समावेशी विकास के दर्शन की आवश्यक शर्त है बल्कि हमारा संवैधानिक दायित्व भी है जिसके लिए हमारे संविधान में जनजातीय क्षेत्रों और समुदायों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।