योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कन्ट्रोल रूम

 

 

जयपुर, 14 फरवरी। श्रम राज्य मंत्री  टीकाराम जूली ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि श्रमिकों से जुडी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन तथा लंबित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए विभाग द्वारा कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में योजनाओं से जुड़े 5 लाख 96 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है तथा 46 हजार 986 पंजीकरण किये गये हैं।

 

 जूली प्रश्न काल में विधायकों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने  कहा कि विभाग द्वारा लंबित प्रकरणों के निस्तारण को प्राथमिकता से निपटाया जा रहा है तथा आने वाले दो-तीन माह में इनका पूरी तरह निस्तारण कर दिया जायेगा। श्रम राज्य मंत्री ने बताया कि भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिकों के लिए अलग श्रेणी है तथा उसके मापदण्डों के अनुसार उन्हें लाभ प्रदान किया जाता है। 

 

उन्होंने बताया कि राज्य में सिलिकोसिस बीमारी के मरीज को इलाज के लिये 2 लाख रुपये देने का प्रावधान है तथा मृत्यु के बाद उसके परिजनों को 3 लाख रुपये दिये जाते है। इसके अतिरिक्त मृत्यु के पश्चात् आवेदन करने पर परिजनों को 5 लाख रुपये सरकार द्वारा दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस के लिये राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति की जायेगी तथा निरोगी राजस्थान योजना के तहत सिलिकोसिस मरीजों हेतु किये जा रहे है डेटा को विभाग द्वारा प्राप्त कर संधारण किया जायेगा।

 

इससे पहले  जूली ने विधायक  पानाचन्द मेघवाल के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि श्रमिक कल्याण की विभिन्न योजनाओं के लिए विभिन्न  जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध  रहता है। उन्होंने कहा कि मंडल की योजनाओं का लाभ निर्माण श्रमिकों अथवा परिभाषित निर्माण कायोर्ं में नियोजित श्रमिकों को ही देय है परन्तु भिन्न सामाजिक अंकेक्षण एवं भौतिक सत्यापनों में 35 प्रतिशत से अधिक गैर निर्माण श्रमिकों द्वारा पंजीयन कराने एवं अनियमित रूप से योजना का लाभ लेने की स्थिति सामने आयी है।

 

जूली ने बताया कि श्रम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उपकर राशि का प्रयोग अधिनियम की धारा 22 (ए) से (जी) तक  उल्लेखित विषयों पर बनाई गई योजनाओं में लाभ अन्य कल्याणकारी योजना की अपेक्षा प्राथमिकता से करने के निर्देश दिये गये हैं। उक्त निर्देशों के क्रम में सीमित फण्ड  उपलब्धता तथा संवेदनशीलता की दृष्टि से सिलिकोसिस सहायता, मृत्यु सहायता, प्रसूति सहायता, शिक्षा सहायता एवं टूलकिट सहायता के आवदनों को वरीयता देते हुए निस्तारित किया जा रहा है। शुभशक्ति योजना, सुलभ्य आवास योजना के 2016-17 में प्राप्त आवेदनों का  भौतिक सत्यापन के उपरान्त पात्र श्रमिकों को हितलाभ देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने मण्डल द्वारा संचालित योजनाओं में लंबित आवेदनों का जिलेवार विवरण  सदन के पटल पर रखा।

 

उन्होंने कहा कि भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक (नियोजन एवं सेवा शतोर्ं का विनियमन) अधिनियम, 1996 की धारा 2 (क) में भवन एवं अन्य संनिर्माण कार्य को परिभाषित किया गया है। इस कार्य में जहां पर कारखाना अधिनियम, 1948 एवं खान अधिनियम, 1952 के प्रावधान लागू होते हैं, को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि शुभ शक्ति योजना में 3 माह एवं सुलभ्य  आवास योजना में 6 माह पूर्व का पंजीयन होना आवश्यक है। 

 

श्रम राज्य मंत्री ने कहा कि योजना के प्रावधान मंडल की बैठक मंभ सर्वसम्मति से निर्णय के आधार पर तय किये जाते है। श्रम मंत्रालय भारत सरकार एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार योजनाओं की पुनर्संरचना का कार्य आगामी बैठक में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है।

 

जूली ने बताया कि विभागीय स्तर पर सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित होने वाले श्रमिकों का विवरण संधारित नहीं किया जाता है। उक्त अधिनियम के प्रावधान अनुसार पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को सिलिकोसिस से ग्रस्त होने की स्थिति में मण्डल द्वारा कुल 2526 मृतक आश्रितों को सहायता दी गई।