जयपुूर Jaipur ,25 मार्च । किसान महापंचायत ने कोरोना वायरस के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देशभर में किए गए 21 दिन के लॉक डाउन का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अपील के साथ सम्पूर्ण देश खड़ा है , महामारी से निपटना जीवन बचाव के लिए सभी के लिए प्राथमिकता है ।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट Rampal Jat ने प्रधानमंत्री Prime Minister नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि आखिरकार चीन के प्रकृति विरोधी आचरण का खामियाजा दुनिया कब तक भुगतेगी जो कोरोना के कहर के साथ हन्ता वायरस जैसी महामारियों का कारण बन रहा है I
जाट ने पत्र में लिखा है कि कमाएंगे नहीं तो चुकाएंगे कैसे ? खेतों में पकी हुई फसलों की लावणी (कटाई) के लिए जाने वाले किसानों, श्रमिकों तथा थ्रेशिंग मशीनों को रोकने से तो किसानों को खेती की कमाई से वंचित होना पड़ेगा । खरीफ की फसलें अतिवृष्टि के कारण अनेकों स्थान पर नष्ट हुई, उनकी भरपाई के लिए सहायता अभी तक किसानों को प्राप्त नहीं हुई, यह रबी की फसल उनके जीविकोपार्जन का आश्रय है ।
उन्होने कहा कि इस कहर से बचने के लिए किसानों को फसल लेने से रोका गया तो केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों को मिलकर फसल का आकलन करने के उपरांत कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर उनके खातों में राशि डालने की घोषणा करनी चाहिए , जब धनवानों के लिए अनेक प्रकार की घोषणा की जा सकती है तो किसानों के लिए क्यों नहीं ? आखिर किसान भी तो इसी देश के वासी है, भेदभाव एवं पक्षपातपूर्ण व्यवहार संविधान विरोधी है I
राष्ट्रीय अध्यक्ष जाट ने कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें इस कहर के कारण किसानों की असामयिक मौतों को अनदेखा कर रही है । प्रकृति की मार से सरसों, गेहूं आदि की फसलें नष्ट होने के एक पखवाड़े में अकेले भरतपुर जिले में 9 किसानों को समय पूर्व मौत के मुंह में जाना पड़ा ।किसान अपनी पकी हुई फसलों को अपनी संतान जैसी सुरक्षा देता है, जो देश हित के लिए अपरिहार्य है । फसल कटाई से लेकर उसे घर लाने तक को आवश्यक सेवा में सम्मिलित किया जावें , इसी प्रकार इसके लिए उपयोग में आने वाले वाहन बैलगाड़ी, ट्रेक्टर, थ्रेशर एवं कटर मशीनों को भी आवश्यक सेवा में सम्मिलित किया जावें ।
उन्होने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पशुओं को चारा पानी की व्यवस्था के लिए खेतों तक आने जाने की छूट दी जावें । सभी प्रकार के ऋण, बकाया राजस्व, बिजली एवं पानी के बिलों की वसूली 30 जून तक स्थगित की जावे तथा इस अवधि में किसी भी प्रकार के ब्याज या अन्य प्रभार का आरोपण नहीं किया जावें , किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर या बाजार एवं मंडी में बेचने तक, घर परिवार चलाने के लिए विशेष पैकेज के अंतर्गत फसलों की अग्रिम राशि के रूप में रुपये 10, 000 प्रति परिवार दिया जावे, इससे अर्थव्यवस्था भी गतिमान रहेगी ।
किसान महापंचायत ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि गांव में निवास करने वाले भूमिहीन, कारीगरों, मिस्त्रियों एवं अन्य सभी को घर चलाने के लिए अनिवार्य आवश्यकतायें पूरी करने के लिए विशेष पैकेज दिया जावें । प्राकृतिक आपदाओं में नष्ट हुई फसलों की क्षति पूर्ति शीघ्र कराई जावे, जिन किसानों की प्रकृति की मार के कारण फसल खराब होने पर असामयिक मौत हो गई, उनके आश्रितों को 5,00,000 रुपये की सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जावे, उन परिवारों को ऋणों से मुक्त किया जावें तथा सरकारी कर्मचारियों की भांति उनके आश्रितों में से एक व्यक्ति अनुकंपात्मक नियम बनाकर सरकारी नौकरी दी जाए I
राष्ट्रीय अयक्ष जाट ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि तत्काल केंद्र स्तर पर कार्यवाही की जावें तथा राज्य स्तर पर कार्यवाही के लिए सम्बंधित राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश देकर पलना करायी जावें ।