जयपुर , 18 अप्रेल । अखिल भारतीय किसान सभा,राज्य कमेटी, राजस्थान के संयुक्त सचिव डा संजय माधव ने कहा हें कि किसान-मजदूर 21-अप्रैल को सुबह 10.30 बजे घर के दरवाजों, खेतों,बालकनियों, छतों पर खड़े हो कर, ''खोखले भाषण नहीं, हमें रोटी चाहियें - आर्थिक सहायता चाहियें” नारे लगातें हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे।
डा माधव ने कहा कि कोरोना वायरस(कोविद 19) महामारी के संदर्भ में लॉकडाउन ने मजदूर वर्ग, किसानों, खेत मजदूरों और दुनिया भर के सभी मेहनतकश लोगों की आजीविका को नष्ट कर दिया है। पूरे देश की तरह राजस्थान मेंं भी लॉकडाउन के प्रभाव के कारण लोगों के दुख-दर्द में हो रही गंभीर और तेज बढ़ोतरी को देखा जा सकता है।
उन्होने कहा कि शासक वर्ग(केन्द्र और राज्यों की सरकारें) संकट की गहराई को समझने के लिए पर्याप्त संवेदनशील नहीं हैं। साथ ही असाधारण स्थिति को संभालने के लिए अचानक की गई लॉक डाउन की घोषणा से पहले सरकार की ओर से तैयारियों में रह गयी भारी कमी के कारण उभरी गंभीर समस्याओं को स्वीकार करने और दूर करने के लिए सरकार तैयार नहीं हैं।
डा माधव ने कहा कि हालांकि केन्द्र सरकार ने 1,70,000 करोड़ रुपये के एक पैकेज की घोषणा की है, जो कि हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद(GDP) का केवल 0.85% ही है,जब कि अन्य कई देशों ने अपने सकल घरेलू उत्पाद(GDP) का 4% से 5% तक आबंटित किया है। इस 1,70,000 करोड़ रुपए के पैकेज के भीतर भी वास्तविक धनराशि तो केवल 79,000 करोड़ रुपये ही है। केन्द्र-सरकार द्वारा सभी गैर-करदाता परिवारों को 7500 रुपये महीने देने की बहुत ज़रूरी मांग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया ।
उन्होने कहा कि लॉकडाउन के कारण किसानों को हुए भारी नुकसान का आकलन करने और उसके लिए मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, साथ ही खड़ी फसलों की कटाई और खरीद को लेकर भी अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकार मनरेगा योजना मेंं मजदूरों के लंबित पड़े बकायों के भुगतान तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार मुहैया कराना सुनिश्चित करने के लिए भी तैयार नहीं है।देश में चिंताजनक स्थिति यहां तक है कि चिकित्साकर्मियों को पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराये जा सके हैं, इस कारण डॉक्टरों,नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों की भी भारी संक्रमण से ग्रसित हो रहीे है ।
डा माधव ने कहा कि कोरोना-वायरस के फैलाव और लॉकडाउन के कारण कटाई के सीजन में किसानों और मेहनतकश लोगों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।ऐसे में केन्द्र एवं राज्य सरकारे खाद्य और आजीविका सहायता के लिए तत्काल वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करें।