ग्रामीणों के मदद से प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने घर

 


जयपुर, 17 मई  । कोरोना के वर्तमान दौर में मानवता के अनेक रंग उजागर हुए हैं। दिल को छू लेने वाली ऐसी ही एक मिसाल पेश की है पाली जिले के बाली उपखंड के सेला गाँव के लोगों ने।


इस गाँव के निवासियों ने प्रशासन की मदद से पैदल ही अपने गाँव जा रहे श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने के लिए बस की व्यवस्था की। ग्रामीणों के इस प्रयास की आस-पास के गांवों सहित पूरे जिले में सराहना हो रही है। 


  क्षेत्रीय लोकसम्पर्क ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाराँ जिले के कुछ श्रमिक अपनी रोजी-रोटी कमाने गुजरात गए हुए थे। लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार चला गया। यातायात का कोई साधन नहीं होने से वे पैदल ही गुजरात से अपने गाँव के लिए निकल पड़े। सात दिन पैदल चलने के बाद ये श्रमिक सेला गाँव पहुंचे। सेला निवासियों से उनकी हालत देखी नहीं गई और उन्होंने उनकी मदद करने की ठानी।


 सबसे पहले ग्रामवासियों ने इन 35 प्रवासी श्रमिकों के ठहरने का इंतजाम किया। इन मजदूरों में 17 मासूम बच्चे और दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं। ग्रामीणों ने मिलकर उनके लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की। इसके बाद ग्रामवासियों ने इन श्रमिकों के बारे में सारी जानकारी बाली की उपखण्ड अधिकारी सुश्री निधि बीटी को दी। सूचना मिलते ही सुश्री निधि सेला गाँव पहुंची। प्रवासी श्रमिकों के लिए की गई व्यवस्था के लिए उन्होंने ग्रामीणों की तारीफ की।


  उपखंड अधिकारी ने श्रमिकों को पैदल नहीं जाने का आग्रह किया और उनके लिए बस की व्यवस्था की गई। ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ हितेन्द्र वागोरिया की मदद से सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। 


राजस्थान रोडवेज की मुख्य आगार प्रबंधक सुश्री रुचि पवार ने उनके लिए बस की व्यवस्था करवाई। श्रमिकों को बैठाने से पहले बस को सेनेटाइज किया गया। इन दोनों अधिकारियों के साथ ही तहसीलदार  सर्वेश्वर निम्बार्क की देख-रेख में सभी 35 लोगों को बस से बाराँ जिले के शाहबाद रवाना किया गया।