पश्चिमी और उत्तर -पश्चिमी भारत टिड्डी हमले से त्रस्त



नई दिल्ली, 28 मई ।पश्चिमी और उत्तर -पश्चिमी भारत टिड्डियों के हमले से परेशान है । टिड्डियों ने इस दफे ऐसे इलाकों में धावा बोला है जहां सालों से उसका नामोनिशान नहीं था । राजस्थान की गुलाबी नगरी के नाम से ख्यात जयपुर भी इस बार टिड्डियों से अछूता नहीं रहा ।


पश्चिमी और उत्तर -पश्चिमी भारत में टिड्डियों के व्यापक लहर के बीच कृषि और किसान कल्याण विभाग  ने प्रभावित राज्यों राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में टिड्डी नियंत्रण अभियान को तेज कर दिया है। आज तक राजस्थान के बाड़मेर जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, जयपुर जिलों और मध्य प्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिले में अपरिपक्व टिड्डियां सक्रिय  हैं।
 टिड्डियों के दल ने खेत खलियान हीं नहीं रिहायशी इलाकों के घर और कालोनी में स्थित बाग बगीचों को भी नहीं छोडा । टिड्डियों ने घरों की छतों ,बालकानियों पर क्बजा जमा लिया जो स्वत हट गयी या मकान मालिकों ने थालियां या पटाखे फोडकर उडने को विवश किया ।


 


वर्तमान में 200 टिड्डी सर्कल कार्यालयों ; द्वारा प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि फील्ड मशीनरी के निकट समन्वय से सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्य किया जा रहा है। राज्य कृषि विभागों और स्थानीय प्रशासन के समन्वय से टिड्डी नियंत्रण कार्य जोरों पर हैं। राजस्थान में 21 जिले,  मध्य प्रदेश में 18 जिले, पंजाब में एक जिला और गुजरात में 2 जिलों को अब तक टिड्डी नियंत्रण के तहत लिया गया है। 
 रेगिस्तानी क्षेत्रों के अलावा टिड्डियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए राजस्थान में अजमेर, चित्तौड़गढ़ और दौसा तथा मध्य प्रदेष में मंदसौर, उज्जैन और शिवपुरी व उत्तर प्रदेश में झांसी में अस्थायी नियंत्रण शिविर स्थापित किए गए हैं।


जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के समन्वय से टिड्डी सर्कल कार्यालयों ;स्ब्व्ेद्ध द्वारा राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में कुल 303 स्थानों पर 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाया गया है। कीटनाशक छिडकाव के लिए 89 फायर ब्रिगेड, 120 सर्वेक्षण वाहन, छिडकाव उपकरणों के साथ 47 नियंत्रण वाहन और 810 ट्रैक्टर से जुडे छिडकाव उपकरणों को अलग-अलग दिनों के दौरान आवश्यकता के अनुसार प्रभावी टिड्डी नियंत्रण हेतु तैनात किया गया है।


आमतौर पर मानसून के आगमन के साथ जून / जुलाई के महीने में गर्मियों में प्रजनन के लिए टिड्डी दल पाकिस्तान से भारत के अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं। इस वर्ष हालांकि टिड्डियों के हॉपर और गुलाबी झुंडों के काफी पहले आने की सूचना मिली है। इसका कारण पाकिस्तान द्वारा गत सीजन में टिड्डियों की अवशिष्ट आबादी को नियंत्रित नहीं करना रहा। 


11 अप्रैल 2020 से टिड्डियों के हॉपर और 30 अप्रैल 2020 से राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में गुलाबी अपरिपक्व वयस्कों के अचानक हमले की सूचना मिली है, जिन्हें नियंत्रित किया जा रहा है। गुलाबी अपरिपक्व वयस्क ऊंची उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान की तरफ से आने वाली पष्चिमी हवाओं के साथ दिन में एक से दूसरी जगह लंबी दूरी तय करते हैं। इनमें से अधिकांश गुलाबी अपरिपक्व वयस्क रात के दौरान पेड़ों पर जमे रहते हैं तथा ज्यादातर दिन में उड़ते हैं।


इस वर्ष टिड्डियों के झुंड के शुरुआती हमलों से चिंतित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 6 मई को कीटनाशक निर्माताओं और सभी संबंधित हितधारकों के साथ बैठककर इसके नियंत्रण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए ।टिड्डियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लंबे पेड़ों व दुर्गम क्षेत्रों में कीटनाशकों के ड्रोन से हवाई छिड़काव किया जाएगा ।



एफएओ के 21 मई, 2020 के टिड्डी स्थिति अपडेट के अनुसार वर्तमान में पूर्वी अफ्रीका में स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां यह खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए एक अभूतपूर्व खतरा बना हुआ है। नए टिड्डी दल भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ सूडान और पश्चिम अफ्रीका के साथ-साथ गर्मियों में प्रजनन वाले क्षेत्रों में जाएँगे। जैसे-जैसे इन क्षेत्रों में वनस्पति सूखती जाएगी, भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों किनारों पर गर्मियों के प्रजनन क्षेत्रों के लिए और अधिक समूह इन क्षेत्रों से बनेंगे और आगे बढ़ेंगे। जून के प्रथम पखवाडे में भारत-पाकिस्तान सीमा पर अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की गई है, जो अंडे देने का मौका देगी।अपरिपक्व टिड्डी बहुत सक्रिय है और उनकी गतिशीलता एक स्थान पर झुंड को नियंत्रित करना मुश्किल बना देती है। विभिन्न स्थानों पर टिड्डी झुंड विशेष को नियंत्रित करने में 4 - 5 दिन लग जाते हंै।


टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता है। यह एक ट्रांस-बॉर्डर कीट है और बड़े झुंड के रूप में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाए जाने वाली टिड्यिाॅं करीब 60 देशों में रहती हैं और पृथ्वी के धरातल के पांचवें हिस्से को कवर कर सकती हैं। रेगिस्तानी टिड्डी की विपत्तियां दुनिया की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा हो सकती हैं। रेगिस्तान में टिड्डियों के झुंड गर्मी के मानसून के मौसम के दौरान अफ्रीका / खाड़ी /दक्षिण पश्चिम एशिया से भारत आते हैं और वसंत प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी व अफ्रीकी देशों को वापस जाते हैं।


भारत में 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी वृत्त कार्यालय (स्ब्व्) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चूरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) में स्थित हैं और अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र में राज्य सरकारों के साथ समन्वय से निगरानी, टिड्डी नियंत्रण और ​​सर्वेक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।