मोदी सरकार किसान विरोधी


जयपुर, 1 जून ।राष्ट्रीय किसान महापंचायत ने नरेन्द्र मोदी सरकार को किसान विरोधी सरकार बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार किसानों से किये वायदे को भूल चुकी है ।
 राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने आज कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानो को ऋणमुक्त बनाने की आवश्यकता है, जबकि सरकार किसानो को ऋणी बना कर आत्महत्याओं की ओर धकेल रही है I यह स्थिति तो तब है जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने लोकसभा चुनाव -2009 के घोषणा पत्र में किसानो को ऋणमुक्त बनाने का वायदा किया था । उन्होने कहा कि सरकार ने खरीफ 2020-21 की उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया ओर इसे लागत का डेढ़ गुना करने का दंभ भरा है, परन्तु यह असलियत से कोसो दूर है ।


 जाट ने कहा कि  सरकार A-2+FL लागत को आधार मानकर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का ढोल पीट रही है I विश्व में लागत का अर्थ सम्पूर्ण लागत से ही होता है I A-2+FL आधी अधूरी लागत है I सम्पूर्ण लागत को C-2 कहा जाता है I इसके अनुसार सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं कर रही है । इस वर्ष के सम्पूर्ण लागत के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं होने असे पिछले वर्ष के सम्पूर्ण लागत C-2 के आधार पर मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,538 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए जबकि सरकार ने अभी मूंग का समर्थन मूल्य 7,196 रुपये घोषित किया है, जो सम्पूर्ण लागत के डेढ़ गुना से 2342.50 रुपये कम है ।


उन्होने कहा कि  मूंगफली का सम्पूर्ण लागत का डेढ़ गुना 6,528 रुपये के स्थान पर 5,275 रुपये घोषित किया है जो सम्पूर्ण लागत के डेढ़ गुना से 1253 रुपये कम है I खाधान्नो में धान का सम्पूर्ण लागत के डेढ़ गुना के अनुसार 2428 रुपये के स्थान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 660 रुपये कम 1868 रुपये घोषित किया है I राजस्थान में प्रमुख उपज बाजरे का सम्पूर्ण लागत के डेढ़ गुना के अनुसार 1294 रुपये के स्थान पर 44 रुपये कम कर 2150 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है I


पिछले वर्ष की तुलना में A-2+FL लागत के अनुसार धान में 33 रुपये, बाजरे में 92 रुपये, मूंग में 98 रुपये तथा मूंगफली में 121 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है I इसके अनुसार इस वर्ष सम्पूर्ण लागत C-2 में भी पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी सहज एवं संभाव्य है I इस वर्ष सम्पूर्ण लागत प्राप्त होने पर सम्पूर्ण लागत का डेढ़ गुना ओर सरकार द्वरा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि में अधिक अंतर आयेगा ।
जाट ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की सार्थकता तो तभी है जब सम्पूर्ण उपज की खरीद की गारंटी का कानून हो I अन्यथा खरीद नहीं करने के कारण पिछले वर्ष बाजरे का 2000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने के उपरान्त भी किसानो को 800 रुपये कम दाम लेकर 1200 रुपये प्रति क्विंटल के दामों पर बेचना पडा था । मूंग मूंगफली की खरीद भी कुल उत्पादन में से 25% से कम हुई जिसके कारण 75% मूंग मूंगफली की उपजों को बाजार में 1000 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठा कर बाजार में बेचना पड़ा I 
ज्ञात रहे कि 2015 में शांताकुमार समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से 94% किसानो के वंचित होने का उल्लेख किया था।