नाराज किसान उतरेंगे सडकों पर 

 


जयपुर, 2 जुलाई । राष्ट्रीय किसान महापंचायत केन्द्र सरकार की बेरूखी के कारण चना की खरीद बंद होने  के खिलाफ कल बडा ऐलान करेगी ।
   किसान महापंचायत सरकार के खिलाफ दिल्ली कूच और गांव बंद की घोषणा कर सकती है ।
  राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सरकार की बेरूखी के कारण किसानों को 2070 करोड़ रुपये का होगा घाटा क्योंकि भारत सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्य के अनुसार 6.15 लाख टन खरीद के उपरांत 20.70 लाख टन चना किसानो के पास शेष रहता है, इसमें से अभी तक प्रदेश की मंडियों में 2 लाख टन चने का ही क्रय-विक्रय हुआ है ।
 उन्होने कहा कि इस प्रकार 18.70 लाख टन चना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा गया तो किसानो को प्रति क्विंटल 1000 से 1200 रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा ।
कल 3 जुलाई को प्रदेश कार्यकारिणी से विचार के उपरांत आन्दोलन की घोषणा की जा सकती है , जिसमे ट्रेक्टरों से दिल्ली कूच एवं गाँव बंद आन्दोलन पर विचार किया जायेगा।  केंद्र सरकार द्वारा कुल उत्पादन में से 25% से अधिक खरीद पर प्रतिबन्ध के कारण इस समस्या का जन्म हुआ है ।


 जाट ने कहा कि किसानो कि ओर से 2 वर्षों से इस प्रतिबन्ध को सम्पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए अनुनय-विनय किया जा रहा है I इसी सम्बन्ध में राजस्थान सहित अनेक राज्यों ने भी 25% के स्थान पर 50% खरीद करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया हुआ है , केंद्र सरकार कानों में तेल डाले बैठी है ,ऐसी स्थिति में आन्दोलन के अतिरिक्त किसानो के पास कोई विकल्प शेष नहीं है ।
 उन्होने कहा कि  राजस्थान में टिड्डियों की मार, डीजल के दामों में बढ़ोतरी से बुवाई, जुताई एवं परिवहन से आर्थिक भार तथा कोरोना के कहर से आहत किसानो को संबल देने के लिए केंद्र सरकार को किसानो के साथ खड़े होने की दरकार थी I 
   वर्तमान में हजारों की संख्या में किसान अपने चने को ट्रोलियों में भरकर अपने ट्रेक्टरों के साथ खरीद केन्द्रों पर पहुंचे हुए है , जिनको किसान महापंचायत की और से खरीद केन्द्रों पर डटे रहने का आह्वान किया है ।
उल्लेखनीय है कि किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने चने की दाने-दाने की खरीद करने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित राजस्थान के 25 लोकसभा सदस्यों को पत्र प्रेषित किया था बावजूद अभी तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुई बल्कि लक्ष्य पूर्ण होने के साथ खरीद बंद कर दी गयी ।
  जाट ने कहा कि मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका में 40% की सीमा तक 15% उपज राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से खरीदी जाने का उल्लेख है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपने संसाधनों के आधार पर राज्य सरकारे किसानो से खरीद नहीं कर पाती है ।
 उन्होने कहा कि इसकारण यह भार राज्यों से हटा कर केंद्र को अपने ऊपर लेना चाहिए क्योंकि मूल्य समर्थन योजना भारत सरकार द्वारा संचालित है , राजस्थान में इसकी पालना तत्काल करने के लिए किसान कल्याण कोष की राशि द्वारा की जा सकती है । जिसकी भरपाई केंद्र द्वारा राज्य को करने की सम्भावना रहती है ।


   जाट ने कहा कि  यदि सरकार खरीद नहीं करती है तो पंजीयन कराये हुए लगभग 30,000 किसान खरीद से वंचित रह जायेंगे , जिन किसानो का पंजीयन नहीं हुआ तथा नियमों में बदलाव के उपरांत पंजीयन होने की सम्भावना बनेगी, वे भी सरकार द्वारा घोषित चने के न्यूनतम मूल्यों से वंचित हो जायेंगे ।