सहकारिता ही आत्मनिर्भर भारत का सूत्र -सतीश मराठे

 



चित्तोड़गढ़ 17 जनवरी।भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशक आर्थिक चिंतक सतीश मराठे ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए आम आदमी तक नवीन तकनीकी पहुंचाने,स्वरोजगार को बढ़ावा देनेबके के लिए युवा वर्ग को अनिवार्यतः तकनीकी कौशल शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ सहकारी क्षेत्र को और मजबूत करने की  जरूरत है क्योंकि सहकारिता ही आत्मनिर्भर भारत का मुख्य आधार है।

 

ये विचार उन्होंने चित्तोड़गढ़ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड द्वारा मकर सक्रान्ति महोत्सव के तहत आत्मनिर्भर भारत का आधार सहकारिता विषय पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के नाते प्रदत उदबोधन में व्यक्त किये।



उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था रिबूट होने की प्रक्रिया में है एवं राज्य सरकारों द्वारा सचेत होकर सकारात्मक कदम उठाने से ही अर्थव्यवस्था की मजबूती सम्भव है।मराठे के अनुसार देश मे 8लाख 50 हजार सहकारी समितियां है जिसमे से भी  80 प्रतिशत गेर साख समितियां विशेषकर डेयरी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। भारत मे कृषि उत्पाद के प्रोसेसिंग की दर एशियन देशों के मुकाबले बहुत कम है ट्रांसपोर्ट भंडारण की लागत भी अधिक है लेकिन अब देश मे फार्मर्स उत्पादक संगठन प्रारम्भ होने से भी सहकारी क्षेत्र की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्बन बैंक राष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा कि  सहकारी बैंकों में सरकार की नही बल्कि  समाज के माध्यम वर्ग की  पूंजी लगी हुई है एवं ये बेक छोटे मध्यम वर्ग के लोगो को आत्मनिर्भर बनाने का माध्यम है।गुजरात मे 2लाख 18 हजार परिवार को सहकारी क्षेत्र ने प्रति परिवार एक लाख का ऋण देकर कोविड जैसी महामारी का मुकाबला करने के लिए उनको सक्षम बनाने के प्रयास  कर साबित किया कि सहकारी क्षेत्र सबसे बड़ा एनजीओ है।

 

कार्यक्रम की  अध्यक्षता करते हुए सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय पाचपोर ने कहा कि सहकारी क्षेत्र मध्यमवर्ग के जीवन परिवर्तन के लिए सतत  प्रयत्नशील है। आत्मनिर्भर भरक्त निर्माण के लिए सहकारिता संस्कार के सूत्र को उपयोग में लाना होगा।आज सहकारिता में स्वयं के लिये परिवर्तन से सहकरिता बदनाम हो गयी  इसे सही सोच के साथ बदलना होगा।

 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में चेयरपर्सन विमला सेठिया ने स्वागत उदबोधन  देते हुए कहा कि सहकारिता के जरिये ही  परिवर्तन सम्भव है एवं  अतिथियों का भी अभिन्नन्दन किय्या।संस्थापक अध्यक्ष डॉ आई एम सेठिया ने कार्यक्रम की भूमिका के साथ ही बताया कि बेंक सहकारिता का एक मिशन है। प्रबंध निदेशक वंदना वजीरानी ने बैंक की गत्तिविधियो की जानकारी दी संचालन किया आभार उपाध्यक्ष शिव नारायण मांधना ने व्यक्त किया। 

 

चेयरपर्सन विमला सेठिया के अनुसार रिज़र्व बैंक निदेशक ने  भारत बिल पेमेंट सिस्टम का व्यक्तित्व विकास कार्यक्रमो के लिए पंजीयन का शुभारंभ उद्घोषणा से किय्या।इसके साथ ही सभी शाखाओ में बिजली पानी के बिल जमा होंगे पंजिकृत ग्राहको एवं युवाओं को सफलता की राह के लिए प्रक्षिक्षण दिया जाएगा।

इस अवसर पर निदेशक हस्ती मल चोरडिया, रणजीत सिंह नाहर,चांद मल नन्दावत, विनोद आंचलिया,सुनीता सिसोदिया,बालकिशन धुत, आदित्य सेठिया, अभिषेक मीना,बी के डाड,दिनेश सिसोदिया शांति पुंगलिया सहित ग्राहक सदस्यगण उपस्थित थे