मेजर सुरेन्द्र माथुर की जुबानी


10जनवरी एक बहुत ही जीवन का महत्वपूर्ण दिवस है विशेषकर मेरे जीवन का। इस दिन १९८७ में भारत का एक इतिहास रचा गया। 

भारतीय सेना के दस जाँबाज़ अफ़सरों ने एक छोटी सी ३७ फ़िट लम्बी पाल नौका जिसका नाम “तृष्णा “ था से संपूर्ण विश्व की परिक्रमा कर कीर्तिमान रचा था। इस साहसिक अभियान को पूरा करने में ४७० दिन लगे और कुल ५४ हज़ार किमी की यात्रा पूर्ण करी। यह भारत का इतिहास रचा गया क्योंकि यह भारत का पहला साहसिक अभियान था। २८ सितंबर १९८५ - १० जनवरी १९८७। 



मुझे गर्व है कि मैं भी इस साहसिक अभियान का एक सदस्य था।

फोटो यादगार लम्हों के दौरान साहसिक अभियान दल के सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ