केंद्रीय बजट गरीब और किसान विरोधी, महंगाई बढ़ाने वाला, दिशाहीन और निराशाजनक -गहलोत


 

जयपुर, 1 फरवरी । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा केंद्रीय बजट गरीब और किसान विरोधी, महंगाई बढ़ाने वाला, दिशाहीन और निराशाजनक बजट है। इस बजट में कोरोना महामारी से पैदा हुई विकट बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। मिडिल क्लास करदाताओं को उम्मीद थी कि मोदी सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर कोई राहत देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बजट से समाज का हर तबका पूरी तरह से निराश हुआ है। 

गहलोत ने कहा राजस्थान के लिए यह बजट पूरी तरह निराशाजनक है। हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। प्रदेश से सभी सांसद एनडीए के होने के बावजूद केंद्र सरकार ने राजस्थान से भेदभावपूर्ण व्यवहार किया है। इस बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी पर रहा। यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है। 



मुख्यमंत्री  ने कहा कोरोना महामारी के कारण राज्यों के वित्तीय स्रोत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्यों को उम्मीद थी कि बजट में विशेष आर्थिक पैकेज दिए जाएंगे जिससे राज्यों की स्थिति सुधर सके। ऐसे पैकेज के द्वारा नए रोजगार पैदा किए जा सकें और आमजन की परचेजिंग पावर बढ़ सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

गहलोत ने कहा वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले महीनों में केंद्र सरकार ने रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन किया है तब भी मोदी सरकार राज्यों को जीएसटी का हिस्सा नहीं दे रही है जिससे राज्यों में विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।



मुख्यमंत्री  ने कहा अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाले कृषि और रीयल एस्टेट सेक्टर को इस बजट में विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए था। किसान अपनी मांगों को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने इस बजट में किसान हित में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। रीयल एस्टेट सेक्टर आमजन को सस्ता आवास उपलब्ध एवं स्किल्ड और अनस्किल्ड दोनों प्रकार के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाला सेक्टर है। लॉकडाउन के बाद से परेशानियों में घिरे इस सेक्टर को राहत पैकेज दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

गहलोत ने कहा यह बजट पूरी तरह बड़े उद्योगपतियों के हितों को साधने वाला बजट है। मोदी सरकार ने इस बजट के माध्यम से अपनी 'सूट बूट की सरकार' की छवि को पुन: जाहिर करते हुए सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को राहत देने का प्रयास किया है। मोदी सरकार ने पूर्व में कॉर्पोरेट टैक्स में कमी की थी जिससे इस वर्ष कॉर्पोरेट टैक्स के कलेक्शन में 16% से अधिक की कमी आई है। इससे विकास योजनाओं को 76 हजार करोड़ की राशि कम अर्जित हुई। इसका विकास कार्यों पर बेहद प्रतिकूल असर होगा।



अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ाती जा रही है। आमजन को उम्मीद थी कि बजट में केंद्रीय करों में कटौती कर मोदी सरकार राहत प्रदान करेगी लेकिन बजट में एक नया सेस लगा दिया गया है। फिलहाल इसका सीधा असर आम आदमी पर ना पड़े लेकिन आखिर में इसका बोझ आमजन को ही उठाना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री  ने कहा मोदी सरकार द्वारा FDI को बढ़ावा देने पर कहा कि यूपीए सरकार के समय FDI की मुखर विरोधी रही भाजपा सरकार में आने के बाद से FDI को बढ़ावा दे रही है जिसकी झलक बजट में भी दिखी। अगर पूर्व में सिर्फ राजनीतिक कारणों से FDI का विरोध करने की जगह देशहित में बीजेपी ने यूपीए का सहयोग किया होता तो इस दिशा में देश और भी आगे होता। 

इस बजट में मोदी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में शुरू किए गए बहुचर्चित मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसी कई योजनाओं के बारे में कोई जिक्र तक नहीं किया है। इससे लगता है कि स्वयं मोदी सरकार ने ही इन सभी योजनाओं को असफल मान लिया है।