हस्तशिल्प सेक्टर के लिए कोई विशेष लाभ नहीं -ईपीसीएच

हस्तशिल्प सेक्टर के लिए शुल्क मुक्त आयात योजना की समाप्ति काउंटर उत्पादक


 


दिल्ली 1 फरवरी  -  हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने  केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में  पेश  बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बजट में वैसे तो हस्तशिल्प सेक्टर के लिए कोई विशेष लाभ नहीं हैं पर आमतौर पर निर्यात को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गये हैं। 

इसमें से कुछ प्रावधान हस्तशिल्प सेक्टर को भी फायदा पहुंचाने वाले हैं। उन्होंने बजट में पेश किए गये निम्न प्रावधानों को इंगित किया:


Ø  मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत को सशक्त करने के लिए  टेक्सटाइल्स सहित 13 सेक्टरों के लिए भारत सरकार द्वारा प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की घोषणा की गयी , बजट ने वित्त वर्ष 2021-22 में इस योजना को आगे बढ़ाने और विस्तार देने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले 5 वर्षों में लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं।


Ø  कपड़ा उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए, बड़े निवेश को आकर्षित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए, पीएलआई योजना के अलावा मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल्स पार्क- मित्रा (एमआईटीआरए) की एक योजना शुरू की जाएगी। इससे  विश्व स्तर की अवसंरचना बनाई जा सकेगी जिसमें प्लग एंड प्ले सुविधा भी होगी। इन अवसंरचनाओं से निर्यात में वैश्विक चैंपियन बनाए जा सकेंगे इसके साथ ही अगले 3 वर्षों में 7 टेक्सटाइल पार्क स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।


Ø  स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स से छूट (टैक्स हॉलीडे) का दावा करने की पात्रता को एक और वर्ष से बढ़ाकर - 31 मार्च, 2022 तक किए जाने और स्टार्ट-अप में निवेश के लिए पूंजीगत लाभ में छूट की अवधि को एक वर्ष और यानी 31 मार्च, 2022 तक किया जाना।


Ø 31 मार्च 2022 तक स्टील/ लोहे पर आयात शुल्क को घटाकर 7.5 प्रतिशत किए जाने तथा स्टील उत्पादनों पर एडीजी और सीवीडी को खत्म किया जाना। इसके अलावा, कॉपर स्क्रैप पर ड्यूटी 5% से घटकर 2.5% हो गई है।

 


Ø वस्त्र, चमड़ा और हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क-मुक्त वस्तुओं के आयात पर छूट को तर्कसंगत बनाना। शुल्क मुक्त छूट योजना अब 31 मार्च, 2021 से वापस ले ली गई है।


Ø  जीएसटी को सरल बनाने के लिए कई प्रावधानों को और आसान बनाने की घोषणा की गयी है। कुछ उपाय जैसे, एसएमएस के माध्यम से शून्य रिटर्न दाखिल करना; छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न और मासिक भुगतान; इलेक्ट्रॉनिक चालान प्रणाली; मान्य इनपुट टैक्स स्टेटमेंट; प्री-फिल्ड संपादन योग्य जीएसटी रिटर्न, और रिटर्न फाइलिंग में विचलन की सुविधा।


Ø  आयकर कार्यवाहियों में लगने वाले समय में कटौती, गंभीर कर चोरी के मामलों में  पुनर्मूल्यांकन के लिए फिर से खोलने के लिए समय-सीमा वर्तमान 6 वर्षों से घटाकर 3 वर्ष किया जाना वह भी तब जब वार्षिक मूल्यांकन में 50 लाख या उससे अधिक की आय छिपाने का सबूत हो। प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर की मंजूरी से वार्षिक आकलन में को 10 साल तक के लिए फिर से खोला जा सकता है।


ईपीसीएच के चेयरमैन  रवि के पासी, ने कहा, कि स्टील / लोहा और तांबे पर कस्टम ड्यूटी में कमी एक स्वागत योग्य कदम है और निश्चित रूप से उन निर्यातकों को राहत देने जा रहा है, जो कच्चे माल की कीमतों में हाल ही में हुई वृद्धि से बुरी तरह परेशान हैं। 

 पासी ने कहा हालांकि, 31 मार्च, 2021 से हस्तशिल्प, वस्त्र और चमड़े के क्षेत्र के लिए शुल्क मुक्त आयात प्रमाणपत्र योजना की वापसी हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए झटका है क्योंकि यह योजना हस्तशिल्प निर्यातकों को प्रोत्साहने देने के लिए अलंकरण, सजावट, उपभोग्य सामग्रियों और उपकरणों को खरीदने में मदद करने वाली थी और इससे निर्यातक और कारीगर  विदेशी बाजार में मांग के अनुसार अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता और रूप में वृद्धि कर सकते हैं। हाल ही में 2018 तक, योजना के तहत शामिल वस्तुओं की सूची 27 से बढ़ाकर 71 कर दी गई थी। 


ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में हस्तशिल्प निर्यात का कुल मूल्य 25,270.14 करोड़ रुपये था और इस वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 के पहले नौ महीने यानी अप्रैल से दिसंबर तक का कुल निर्यात 2268.58 मिलियन अमरीकी डालर यानी 16940.98 करोड़ रुपये हुआ है।