लड़कियों के पिछड़ने का कारण जातियता, रिलीजन व खराब आर्थिक स्थितिः प्रो सुखदेव थोरात


जयपुर 10 अप्रैल ।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री प्रो सुखदेव थोरात ने अनुसूचित जाति, जनजाति एवं मुस्लिम लड़कियों में नामांकन दर कम होने के कारण लड़कियों में नामांकन दर कम होने के पीछे जातियता एवं रिलीजन के अलावा लिंग भेद का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि मध्य स्तर व माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर के बाद लड़कियों के मुकाबले लड़कों को अधिक तरजीह़ दी जाती है। इसके अलावा इन समूहों में लड़कियों के पिछड़ने का एक और कारण है परिवार की खराब आर्थिक स्थिति हेै ।

   प्रो थोरात कल यहां आई आई एस डीम्ड विश्वविद्यालय द्वारा नवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए महिलाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान नीतियों में सुधार की अपील की और इनसे जुड़े सुझावों को सामने रखते हुए कहा कि गरीब परिवारों से जुड़ी लड़कियां को शुल्क छूट, छात्रवृति, हॉस्टल शुल्क आदि में सब्सिडी के ज़रिए सहयोग किया जाना चाहिए। अनुसूचित जाति, जनजाति एवं मुस्लिम लड़कियों के लिए योजनाएं बनानी चाहिए ताकि उन्हें निजी संस्थानों में प्रवेश मिल सके। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बालिका शिक्षा को लेकर सामाजिक मुहिम के तहत उनके परिवारों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। 


उन्होने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात् से ही भारत सरकार जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पुरूष व महिला के बीच व्याप्त असमानता को खत्म करने की कोशिश में जुटी है। लिंग भेद को खत्म करने के लिए बनाई गई नीतियों ने सकारात्मक नतीजे दिए हैं खासतौर पर शिक्षा प्राप्ति से जुड़ी लैंगिक असमानाता को लेकर। परन्तु अब सवाल शिक्षा प्राप्ति का नहीं बल्कि महिलाओं को गुणवत्ता शिक्षा का समान अधिकार मिले इसका है। 


इससे पहले विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ अशोक गुप्ता ने यह कहते हुए गर्व जताया कि विश्वविद्यालय के नवें दीक्षांत समारोह में 1700 से अधिक छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की जा रही हैं। 



डॉ गुप्ता ने सभी ग्रेजुएंड्स को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि कोरोना जैसी महामारी ने जो एक मूलमंत्र सिखाया हैं वो है अपने करीबियों के मूल्य को समझना। सफलता प्राप्त करने में प्रतिभा एवं सोच तो महत्वपूर्ण है ही परन्तु इस मुश्किल घड़ी को देखते हुए इमोशनल इंटेलिजेंस, समानुभूति एवं दूसरों के साथ मज़बूत, ईमानदार और विश्वासपरक दीर्घकालीन संबंध कायम करने की अहमियत अत्यधिक हो गई है। 




डॉ शिवराज वी पाटिल को विश्वविद्यालय की ओर से कानून व न्याय के क्षेत्र में डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। निपुणता एवं विनम्रता की मिसाल डॉ पाटिल देश के बेहतरीन न्यायाधीशों में से एक हैं। वर्ष 2000 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके डॉ पाटिल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं कर्नाटक में बाल विवाह रोकधाम की कोर कमेटी के साथ बतौर अध्यक्ष जुड़े रहे। विभिन्न क्षेत्रों में इनके अप्रतिम योगदान के लिए इन्हें बसवाश्री अवॉर्ड एवं राष्ट्रीय कन्नड रत्न से नवाज़ा जा चुका है। 


इस अवॉर्ड की वर्चुअल प्राप्ति पर डॉ पाटिल ने खुशी ज़ाहिर की एवं कहा कि किसी भी देश के लिए शिक्षा मानवीय विकास एवं आधुनिक सभ्यता का आधार है। भविष्य में लोगों की आजीविका का स्तर इस बात पर निर्भर करेगा कि वहां के स्टूडेंट्स को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। डॉ पाटिल ने विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 में हुए दीक्षांत समारोह में दिए अपने सम्बोधन को याद किया एवं कहा कि मैं यह गर्व के साथ कह सकता हूं कि आईआईएस डीम्ड विश्वविद्यालय एक बेहतरीन शैक्षणिक संस्थान होने के सभी मापदणों पर खरी उतरती है। 



शेखर मेहता, प्रेसिडेंट 2021-21, रोटरी क्लब को डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। जयपुर में जन्में मेहता, वर्ष 1984 से रोटरी से जुड़े हुए हैं। शेल्टरबॉक्स, यूके के ट्रस्टी होने के नाते मेहता ने 2004 सुनामी में अपना घर खो चुके लोगों के लिए 500 घर बनवाए।