श्री चित्रगुप्त जी का प्राकट्य दिवस दो क्यों ?

 




 जयपुर, 22 अप्रैल ।राजस्थान सहित देश भर में चित्रांश समाज अपने आराध्य देव श्री चित्रगुप्त जी का आज प्राकट्य दिवस मना रहा है ।

    कायस्थ समाज का एक प्रबुद्व वर्ग मनुष्य के अच्छे और बुरे क्रमों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त जी का आज धर्मराज दशमी को प्राकट्य दिवस मना रहा है वहीं समाज का दूसरा प्रबुद्व वर्ग है  आगामी 19 मई को गंगा सप्तमी पर भगवान श्री चित्रगुप्तजी का प्राकट्य दिवस मनायेगा ।

  राजस्थान कायस्थ महासभा जयपुर जिला ईकाई,राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद् जयपुर- अंबर जयपुर चैप्टर और मानसरोवर कायस्थ महासभा ने आज ही चित्रगुप्त जी का प्राकट्य दिवस मनाने के आहवान पर श्री चित्रगुप्त जी का विशेष पूजा अर्चना की जा रही है । धर्मराज दशमी पर अपने आराध्य देव श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवस और हिंदुस्तान को कोरोना से मुक्ति की कामना को लेकर हवन पूजन किया ।

                                        


   महासभा की ओर से आज शाम को  धर्मराज चित्रगुप्त मंदिर विजय पथ मानसरोवर में होने वाले कार्यक्रम को कोविड संकट तथा राजस्थान सरकार द्वारा लगाये गये लाकडाउन एवं प्रोटोकॉल के कारण पहले ही रदद कर अपने अपने घरों पर मनाने का निर्णय लिया था ।

 कोरोना महामारी के चलते  चित्रांश संगठनों और समाज ने अपने अपने घरों में ही श्री चित्रगुप्त जी का प्रकट्यउत्सव मनाने का निर्णय लिया । भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजा के बाद शाम को घरों के बाहर दीपक जलाकर रोशनी करेंगे ।


  व्हाटस वालॅ के अनुसार राजस्थान कायस्थ महासभा के अध्यक्ष अरविंदकुमारसंभव आज धर्मराज दशमी को प्राकट्य दिवस मनाने के पीछे तर्क देते है कि उज्जैन के प्राचीनतम धर्मराज चित्रगुप्त मंदिर में जाकर देखो वहाँ आज भी चित्रगुप्त जी की प्राचीन प्रतिमा धर्मराज के नाम से जानी जाती है । इसीलिये इस बात को लेकर कोई विवाद ही नहीं है । धर्मराज चित्रगुप्त जी की विश्वयापी पूजा का केंद्र बिंदु यम द्वितीय के साथ साथ  धर्मराज दशमी को प्रचारित करना ही हमारे वंश पितामह के प्रति हमारी कृतज्ञता होगी ।

      अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय सचिव देवेन्द्र सक्सेना मधुकर ने श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवस गंगा सप्तमी को ही जायज ठहराते हुए कहा कि राजस्थान में 16 सालों से प्राकट्य दिवस को लेकर कोई विवाद नहीं था लेकिन विगत चार साल से एक चित्रांश संगठन की वजह से प्राकट्य दिवस को लेकर विवाद बन गया है । 

    उन्होने कहा कि चार साल से पहले सभी लोग एकसाथ गंगासप्तमी को प्राकटय दिवस मना रहे थे लेकिन फिर अचानक धर्मराज दशमी को लेकर विवाद का मुददा बना दिया गया।

    सक्सेना ने कहा ​कि यह विवाद केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर चल रहा है । यदि कोई धर्मराज दशमी को प्राकट्य दिवस मना रहा है ,तो हम उनका हाथ तो नहीं पकड सकते । उन्होने कहा कि राजस्थान में 38 संगठन एक बैनर तले गंगा सप्तमी:19 मई:' को श्री चित्रगुप्त जी का प्राकट्य दिवस धूमधाम से मनायेंगे ।

  कायस्थ जनरल सभा जयपुर के कार्यकारी अध्यक्ष अवध बिहारी माथुर का कहना है कि हमारे बुजुर्ग गंगा सप्तमी को श्री चित्रगुप्त का प्राकट्य दिवस मनाते आ रहे है इसलिए हम भी गंगा सप्तमी को प्राकटय दिवस मनाते है ।  38 चित्रांश संस्थाओं से मिलकर गठित कायस्थ जनरल सभा भी गंगा सप्तमी को ही सामूहिक रूप से श्री चित्रगुप्त जी भगवान का प्राकट्य दिवस गंगा सप्तमी को ही मनाती है और आगे भी गंगा सप्तमी को ही चित्रगुप्तजी का प्राकट्य दिवस मनायेंगे ।

 माथुर ने कहा कि श्री चित्रगुप्त जी महाराज का प्राकट्य दिवस कब कौन मना रहा है मैं इसकी आलोचना नहीं करना चाहता , अच्छा है कब भी मनाये प्राकट्य दिवस मनाये । 

 एक व्हाटस वालॅ के अनुसार  ऋग्वेद, उपनिषद व महाभारत काल तक चित्रगुप्त जी का कहीं उल्लेख नहीं है। उस समय तक धर्मराज व यमराज का ही उल्लेख है। बाद में लिखी पुराणों में चौदह यमों  का वर्णन है जिन्हें धर्मराज की उपाधि दी गयी थी और चित्रगुप्त जी भी उनमें से एक हैं। अतः धर्मराज दशमी ही उनका दिवस है। गंगा सप्तमी का चित्रगुप्त जी से कोई संबंध नहीं है।

 भारत के सबसे पुराने दोनों चित्रगुप्त मंदिर उज्जैन व अयोध्या आज भी धर्मराज मंदिर व धर्म हरि मंदिर के नाम से सैंकड़ों वर्षों से जाने जाते हैं। दोनों का वर्णन स्कंदपुराण में हैं।

  पुराणों में भी चित्रगुप्त जी को न्याय व धर्म के अधिकारी के रूप में दर्शाया गया है। धर्माधिकारी और धर्मराज या धर्मदेव में क्या अंतर है?  बृह्मलोक व्यवस्था में कोइ देव सहायक स्वयंमेव में देवता नहीं हो सकता और हमारे वंश प्रवर्तक देवता हैं कोई सहायक या कर्मचारी नहीं। वे धर्मराज पद पर आसीन देव हैं जो न्याय व धर्म का नियंत्रण करते हैं। इसीलिए मंत्र है ओम यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय व नम:.  मतलब यम यानि नियम, धर्म यानि संहिता के अधिष्ठाता श्री चित्रगुप्त को प्रणाम। फोटो साभार #ललकार#