सबकी नजरे सीरम इस्टीटयूट की ओर

 


जयपुर,26 अप्रैल । राजस्थान के 3 करोड 75 लाख लोगों को वैक्सीन लगने का मुददा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कल इस बारे में की गई बडी घोषणा के बाद समाप्त हो गया है लेकिन वैक्सीन कब से लगेगी अब यह मुददा गर्मा गया है वैक्सीन उपलब्ध करवाने को लेकर कोई फच्चर लगाकर जानबुझ कर आपूर्ति में देरी तो नहीे होगी ,सबकी नजरे इस ओर टिकी हुई है  । 

   प्रदेश के 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन लगाने को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार आमने सामने थी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने  मंत्रिपरिषद, प्रदेश के संासदों और स्वंय के स्तर पर केन्द्र सरकार पर दवाब बनाने के बावजूद केन्द्र इस मुददे पर कुंडली लगाये बैठा रहा । अन्तत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों के वैक्सीन पर आने वाले खर्च करीब तीन हजार करोड रूपये राज्य सरकार द्वारा वहन करने के बाद इस मुददे को लेकर चल रहे हमलावर बाण रूक गये ।



  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई घोषणा वाकई में ऐतिहासिक है लेकिन मुख्यमंत्री समय गंवाये पहले ही यह ऐलान कर देते तो संभवत गांधीवादी की छवि और गहरी होती । कोरोना के उपचार के लिए इमदाद को लेकर जिस तरह से केन्द्र राजस्थान के साथ बर्ताव कर रहा है वो सबके सामने है , राज्य सरकार ने जबरदस्त राजनीतिक और प्रशासनिक दवाब बनाया लेकिन केन्द्र सरकार पर इसका असर नहीं हुआ । हाॅ इतना अवश्य है कि राजस्थान सरकार ने 18 से 45 साल वर्ग के लोगों के वैक्सीन के मुददे को अपनी झौली में डालकर इस वर्ग के लोगों का मन जीतने में कामयाब हो गई लेकिन राजनीतिक स्तर पर कमजोर रहीं । राजनीतिक गलियारों में चल रहीं चर्चाओं में यह उभरकर आ रहा है कि यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग करने के बिना अपने स्तर पर ही 18 से 45 साल वर्ग के लोगों को राज्य के खर्च पर वैक्सीन लगाने का ऐलान करते तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कद राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से कई गुणा बढ जाता । राजनीतिक पंडितों का आंकलन है कि राजस्थान सरकार को शुरू से इस बात का आभास था कि केन्द्र सरकार वैक्सीन के मुददे पर मदद नहीं देगी , बावजूद राज्य सरकार ने वैक्सीन को लेकर की गई घोषणा में देरी की । समय रहते वैक्सीन लगाने का ऐलान होता तो आने वाले दिनों में राजस्थान सबसे अधिक वैक्सीनेशन में देश में पहले स्थान पर होता । मुख्यमंत्री की कार्यशैली के अनुसार वैक्सीनेश में देरी के बावजूद प्रदेश पहली पायदान पर पहुंच जाये तो ताजुब नहीं होना चाहिए ।

  मुख्यमंत्री को राज्यहित में बिना देरी के वैक्सीन का निर्णय तुरंत कर देते तो उनका कद राज्य की जनता के समक्ष ओर बढा हो जाता । अब सबकी नजरे सीरम  इस्टीटयूट की ओर है । शुरूआती सूचना के अनुसार सरकार ने सीरम  इस्टीटयूट  को वैक्सीन खरीदने का आर्डर दे दिया है लेकिन सीरम  इस्टीटयूट  ने यह नहीं बताया है कि वैक्सीन कब तक उपलब्ध करवायेगा ।

  राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा रघु शर्मा का बयान जिसमें उन्होने कहा है कि सीरम  इस्टीटयूट से वैक्सीन को लेकर बात करने पर उन्हे बताया गया है कि वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं है । सीरम  इस्टीटयूट  राजस्थान सरकार के आदेश पर कब वैक्सीन की आपूर्ति करेगा इसको लेकर अभी शून्य है । ऐसी स्थिति में क्या प्रदेश के 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन लगने का काम 1 मई से शुरू हो सकेगा । इस पर सन्देह है । राज्य सरकार को सीरम  इस्टीटयूट पर अब आपूर्ति को लेकर पूरा दवाब बनाना चाहिए , हो सके तो समय रहते इस काम के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को इस काम की जिम्मेदारी सौप कर उनकी देखरेख में एक दल गठित किया जाये । 


मुख्यमंत्री गहलोत के अनुसार प्रदेश में 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के करीब 3 करोड़ 75 लाख व्यक्तियों को वैक्सीन की दो डोज लगाने के लिए राज्य सरकार करीब 3 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।