लकड़ी का पोर्टेबल कोविड आइसोलेशन कक्ष



जयपुर Jaipur , 3 मई । कोरोना महामारी के इस दौर से निपटने के लिए दो युवा इंजीनियरों ने लकड़ी का पोर्टेबल कोविड आइसोलेशन रूम बनाया है जिसे मजदूर आश्रय कक्ष या आइसोलेशन कक्ष की तरह तुरंत असेंबल किया जा सकता है ओर खर्च भी कम

लकडी Woodenसे बने इस कक्ष का इस्तमाल एक छोटे परिवार के लिए भी हो सकता है । लकडी से बने पोर्टेबल कक्ष के नीचे दो वयस्क और ऊपर की मंजिल में चार बच्चे रह सकते हैंकोरोना पाजिटिव को घर में कमरों की कमी को देखते हुए इस तरह के आईसोलेशन कक्ष घर की छत पर या गांव में कम स्थान पर काफी कम खर्च में बहुत जल्द बनाये जा सकते है ।

आइसोलेशन केंद्रों में कमरों की कमी दूर करने हेतु एमबीएम इंजिनियरिंग कॉलेज जोधपुर के दो सिविल इंजीनियर राघव राजपुरोहित और राहुल भाटी ने लकड़ी का पोर्टेबल कोविड आइसोलेशन रूम Portable Covid Isolation Roomबनाया है जिसे मजदूर आश्रय कक्ष या आइसोलेशन कक्ष की तरह तुरंत असेंबल किया जा सकता है ।

दानदाता और समाजसेवी कोरोना महामारी के इस दौर में उन लोगों के लिए यह आईसोलेशन कमरे बनाकर कोरोना पाजिटिव रोगी की सेवा कर सकते है ।दानदाता ऐसे पोर्टेबल कक्षों को अस्पतालए कोविड केयर सेन्टर कच्ची बस्ती सार्वजनिक स्थान घर के लॉन या खाली छत पर भी स्थापित करवा सकते हैं क्योंकि ऐसा कमरा पूर्व उपलब्ध छोटे पैनलों को जोड़कर अविलंब कहीं भी स्थापित या स्थानांतरित किया जा सकता है।

सिविल इंजीनियर राघव राजपुरोहित और राहुल भाटी ने जनक मार्ग खातीपुरा ;जयपुर स्थित एक घर की छत इस तरह का आईसोलेशन कक्ष बनाया है ।आईसोलेशन कक्ष का प्रस्ताव हुडको में विचाराधीन है राज्य सरकार मुश्किल समय इस तकनीक से हजारों लोगों को प्रशिक्षित कर कुछ दिन में ही हजारों कक्ष तैयार कर सकती है ।

लकड़ी के घरों का महत्व बताते हुए उन्होंने बताया कि इससे लोग सीमेंट की बजाय लकड़ी के घर बनाने की पहल करेंगे जिससे आमदानी पेड़ उत्पादक किसानों को जायेगी और पर्यावरण प्रदूषण भी रुकेगा। दोनो इंजीनियरों का मानना है कि भविष्य के घर प्राचीन काल की तरह स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक होंगे। लकड़ी को दीमक व मौसम प्रतिरोधी बनाने के लिए कई प्रयोग कर इस मॉडल हट का निर्माण पिछले मार्च में लॉकडाऊन के दौरान किया था जो आज एक वर्ष बाद भी सभी मौसम झेलने के बाद भी यथावत है।लकडी से निर्मित आईसोलेशन कक्ष की मजबूती का सिमुलेशन टेस्ट कर इसे 180 किमी प्रति घंटा हवा में भी कुछ नुकसान नहीं होगा ।