18वीं शताब्दी के पेरिस में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान था

जयपुर। 22 नवम्बर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर एवं प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर अरविन्द सिन्हा ने कहा कि 18वीं शताब्दी में पेरिस एक छोटा सा शहर था लेकिन वहां की जनसंस्कृति में विविधताओं एवं विरोधाभासों का संगम देखने को मिलता है।



प्रो सिन्हा आज यहां  मारवाड़ की विख्यात शिक्षाविद् स्व. प्रोफेसर मदालसा उज्वल (पूर्व प्रोफेसर राजनीतिशास्त्र विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर) की स्मृति में आयोजित प्रथम व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे ।
 


उन्होने “फ्रांस की क्रांति की पूर्व संध्या पर पेरिस: जनसंस्कृति का अध्ययन” विषय पर व्याख्यान देते हुए  वहां के नोटरी रिकाॅडर््स से जनसंस्कृति के बारे में बहुत सी जानकारी मिलती है। 18वीं शताब्दी के पेरिस में सैकेण्ड हैण्ड फूड का भी व्यापार अत्यधिक लोकप्रिय था और रईसों के घरों में बनने वाले अतिरिक्त भोजन को बाजार में बेचा जाता था। महिलाएं फूल, लकड़ी तथा पानी बेचने का व्यापार करती थीं और जनसूचना तंत्र से जुड़ी हुईं थीं। फ्रांस की क्रांति में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
 


प्रो. अरविन्द सिन्हा ने 18वीं शताब्दी के पेरिस में समाज के ऊध्र्वाकार एवं लम्बवत चरित्र पर प्रकाश डाला। क्रान्ति की पूर्व संध्या पर फ्रांसीसी राजतंत्र एवं कुलीन वर्ग के विरूद्ध जनआक्रोश विभिन्न रूपों में प्रकट हो रहा था और क्रान्ति की शुरूआत दो दशक पूर्व हो गयी थी।