मोबाइल से भी बन सकती है बेहतरीन फिल्म


जयपुर, 22 नवंबर। मुख्य निर्माता एवं एआरडी फस्र्ट जर्मन टेलीविजन के पत्रकार पीएम नारायणन ने मोबाइल से विज्ञान फिल्म निर्माण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।



विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से चल रहीं कार्यशाला के दूसरे दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में कहा कि मोबाइल से भी फिल्म को बेहतरीन बनाया जा सकता है क्योंकि मोबाइल में वे सभी विकल्प मौजूद होते है जिससे फिल्म बनाई जा सके। उन्होंने बताया कि मोबाइल से फिल्म निर्माण की प्रक्रिया भी आसान हो जाती है क्योंकि इसे ले जाने में सुविधा होती है साथ ही मोबाइल पर एडिटिंग, वॉइस ओवर, ब्रॉडकास्ट के लिए विभिन्न एप्स भी मौजूद है जो कि फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में उपयोग ली जाती है।


नारायणन ने बताया कि मोबाइल में फिल्म बनाते वक्त वीडियो को फिल्म बनाने की दृष्टि से बनाया जाता है ना कि आम वीडियो की तरह लिया जाता है। फिल्म में शूटिंग सिचुएशन को ब्रेक करती है जबकि एडिटिंग के माध्यम से सिचुएशन को जोड़ा जाता है। फिल्म मेकिंग में लोंग शॉट, मिड शॉट तथा क्लोज अप्स जैसे विभिन्न टूल्स को समझाते हुए बताया कि विभिन्न एंगल तथा विभिन्न लेंस का प्रयोग करके वीडियो को अलग टेस्ट मिलता है। उन्होंने सत्र में प्रतिभागियों द्वारा मोबाइल से लघु फिल्म का निर्माण तथा वीडियो एडीटिंग भी करवाया।


उन्होंने मोबाइल से इंटरव्यू लेने की बेसिक्स को भी समझाया। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू लेते वक्त माइक को हमेशा ऑन रखना चाहिए। साथ ही कैमरामैन को सभी प्रश्नों का पता होना चाहिए जिससे वह कैमरे का एंगल सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू लेते समय कैमरा मैन के आसपास रुकावट के लिए कोई खड़ा नहीं होना चाहिए। 


विज्ञान फिल्म निर्माता राजेश अमरोही तथा  हिमांशु मल्होत्रा ने विज्ञान फिल्म निर्माण पर चर्चा करते हुए स्वयं द्वारा निर्मित जलवायु परिवर्तन, जल संकट एवं वन्य जीवन से संबंधित शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी फिल्में  प्रदर्शित कर विज्ञान फिल्म के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि फिल्म निर्माण के लिए अच्छा विचार, केन्द्रीय आग्र्यूमेंट, फिल्म एलिमेंट, लक्षित समूह, रिसर्च मेथडोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने रिपोर्टिंग कार्य को बहुत जिम्मेदारी वाला बताते हुए कहा कि इसके लिए कंटेट बहुत महत्वपूर्ण है।