बाबूगिरी हॉवी रहीं तो राजस्थान में निवेश दूर की कोडी होगी ।


     कोरोना महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन का तीसरा चरण तेजी से आगे बढ रहा है । इस चरण के लागू होने के साथ ही सरकार ने कडे लाकॅडाउन में कुछ रियायते देने के कारण स्थिति सामान्य बनाने की ओर कदम बढाये है । 
     


     बावजूद श्रमिकों की घर वापसी और सरकार के स्प्ष्ट दिशा निर्देश के अभाव में राजस्थान में औद्योगिक इकाईयों जिनमें सुक्ष्म लघु और छोटी इकाईयां भी शामिल है संकट की इस घडी में  केन्द्र एवं राज्य सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए है ।


   आरबीआई, केन्द्र एंव राज्य सरकारों ने उद्योगों को शुरू करने के लिए कई घोषणाएं की बावजूद औद्योगिक इकाईयों में सुस्ती नजर आ रही हेै । राजस्थान सरकार ने भी प्रदेश में उद्योग इकाईयों को पुरी रफतार से चलाने के लिए घोषणाए की जारी आदेश में भ्रान्तियों को लेकर उद्योग जगत इन्हे दूर करने की मांग कर रहा है ।
   


    राजस्थान में एमएसएमई की 27 लाख से अधिक इकाईयां हे जिनमें करीब साढे 47 लाख मजदूर काम करते थे । लेकिन अभी स्थिति उलट है । इनमें से आधी से अधिक इकाईयां या तो बंद है या मजदूरों के अभाव में आधी अधूरी चल रही है ।
   


    राजस्थान सरकार को औद्योगिक इकाईयों के संगठनों से बातचीत कर जारी आदेशों में कथित भ्रान्तियों को दूर करने के प्रयास करने चाहिए । हालाकि सरकार दावा कर रही है कि औद्योगिक इकाईयों के संचालन और कोरोना के दिशा निर्देशों को लेकर औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों को स्पष्ट कर आश्वस्त कर दिया है कि सरकार आपके साथ है बिना हिचक के काम शुरू करे । बावजूद हकीकत मेंं औद्योगिक इकाईयों क्षेत्रों में उत्साह नजर नहीं आ रहा है ।
   


 ओद्योगिक इकाईयों से सम्बद्व संगठन के पदाधिकारी इस बात पर एकमत है कि कुशल मजदूरों के अपने अपने घरों की और लौट जाने के कारण औद्योगिक इकाईयों ने रफतार नहीं पकडी है साथ ही आर्थिक तंगी एक दूसरा रूकावट का कारण बना हुआ है । राज्य सरकार को ओद्योगिक इकाईयों जिनमें एमएसएमई इकाईयां भी शामिल है ,को शुरू करवाने पर अपना ध्यान विशेष रूप से केन्द्रित करना होगा । उद्योग विभाग ने नोडल अधिकारियों की तैनाती की है लेकिन जमीन पर नजर नहीं आ रही है ।अधिकारियों को एसी कक्षों से बाहर निकलना होगा ।
   


उद्योग विभाग को कोरोना की मार से जुझ रहे औद्योगिक इकाईयों को पुरानी रफतार देने के लिए राहत देने पर तुरंत निर्णय लेने होंगे साथी ही कुशल श्रमिक जो कोरोना की वजह से अपने राज्यों में जाने को आतुर होकर कतारों में लगे है उन्हे समझाबुझाकर प्रदेश में रोकने के प्रयास करे ।वर्ना कुशल श्रमिकों की कमी से औद्योगिक इकाईयों को एक नया संकट पैदा करेगा जिसकी संभावना नजर भी आ रही है ।
 


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में उद्योग निवेश को बढाने विशेष तौर से विदेशी कम्पनियों को राजस्थान में लाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे है लेकिन अधिकारी वर्ग योजना को अमली जामा पहनाने में किन्तु परन्तु में लगा हुआ है । यह सकेंत अच्छे नहीं है । सरकार ने निवेश को बढाने के लिए निवेशकर्ता को एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं देने का दावा करती है लेकिन हकीकत में इसके उलट है ,बाबूगिरी से परेशान होकर निवेशकर्ता राजस्थान छोडकर अन्य प्रदेश की राह पकड लेता है । अधिकारियों को टालमटोल रवैया छोडना पडेगा वर्ना प्रदेश को इससे बडा नुकसान हो जायेगा ।
 


राजस्थान के जाने माने अभिनेता इरफान खान जिनका विगत दिनों इंतकाल हो गया था ,  भी राजस्थान में फिल्म सिटी बनाना चाहते थे , वे तो ठेठ जमीन तक गये अधिकारियों के साथ लेकिन बाबूगिरी की अडंगाबाजी के कारण फिल्म सिटी बनाने का सपना चकनाचूर हो गया ।यदि अब भी बाबूगिरी हावी रहीं तो निवेश दूर की कोडी रहेगी । ऐसे में  उच्च स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों टीम की देखरेख में जिनकों हाथो हाथ निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त हो निवेशकर्ताओं से बात करेंगे तो प्रदेश में निवेशकर्ताओं की कतार लग जायेगी और प्रदेश उद्योग से सरोबर होने की ओर नये आयाम स्थापित करेगा । सरकार को निवेशकर्ताओं को बुलाने के लिए तेजी से कदम बढाने होंगे ,क्यूंकि हर राज्य विशेष रूप से पडौसी राज्य उत्तर प्रदेश तेजी से इस पर काम कर रहा है ।