सरकारी विश्वविद्यालयों से जुड़े शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने धरना दिया

  


जयपुर 9 सितंबर { माइंड प्लस } ।  फेडरेशन ऑफ़ द पेंशनर्स ऑफ़ द स्टेट यूनिवर्सिटीज आफ राजस्थान एवं राजस्थान विश्वविद्यालय पेंशनर्स एसोसिएशन के आहवान पर आज शहीद स्मारक पर पुलिस आयुक्तालय परिसर में  शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया । 

 धरने में राज्य भर से आए शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया इस धरने में RUCTA, RUTA, शैक्षणिक कर्मचारी संघ राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय सेवानिवृत कर्मचारी संगठन एवं अखिल विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संगठन  का भी समर्थन मिला है। 


धरने मैं मांग की गई, की सरकार कॉलेज पेंशनर्स की भांति विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स को भी पेंशन का भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से करें। राज्य सरकार सेवित्त पोषित विश्वविद्यालयों में लगातार वित्तीय संसाधनों की कमी होती जा रही है जिससे पेंशन के भुगतान का एक बड़ा संकट विश्व विद्यालयों के सामने खड़ा हो गया है 

शिक्षक नेताओं ने कहा कि राज्य के सभी वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन राज्य सरकार के आदेश 1990 से प्रारंभ की गई थी। अभी तक सभी विश्वविद्यालय स्वयं की आय से पेंशन का भुगतान करते आ रहे हैं। किंतु अब सभी विश्वविद्यालयों में वित्तीय संसाधन के स्रोत निरंतर कम होते जा रहे हैं, जिससे पेंशन  भुगतान मैं गंभीर संकट खड़ा हो गया । नवीन  विश्वविद्यालयों के सृजन से भी प्राइवेट छात्रों की फीस में निरंतर कमी होती रही है इससे भी वित्तीय संकट बढ़ गया है।अन्य राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में पेंशन का भुगतान राज्य सरकार ही करती है। 


वक्ताओं ने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी अपने निर्णय में यह स्पष्ट कर चुका है कि विश्वविद्यालय पेंशनर्स को भी सरकार द्वारा ही पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए।वर्तमान में सभी पेंशनर्स आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में कार्यरत/सेवारत कर्मचारी एवं पेंशनर्स को जब वेतन का भुगतान कर रही है तो पेंशन का भुगतान भी ट्रेजरी के माध्यम से किया जाना चाहिए। 

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शिक्षक नेताओं ने कहा कि  स्पष्ट करना चाहेंगे कि राजस्थान राज्य के सभी वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में कुल 8000 पेंशनर्स हैं जिन पर प्रतिवर्ष मात्र 550 करोड़ रुपए का पेंशन खर्च आता है । राज्य सरकार के पेंशनर्स पर 25000 करोड़ रुपए का खर्च आता है ।जो राज्य कर्मचारियों के पेंशन भुगतान का केवल 2% से भी कम है। वक्ताओं ने राज्य सरकार वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से ही करने की व्यवस्था करने की मांग की ।