किेसानों की मांग जल्द हो विधान सभा का सत्र आहूत ।


जयपुर , 27 जुलाई ।राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साथ अब किसान महापंचायत ने भी  राज्यपाल से विधान सभा का विशेष सत्र जल्द बुलाने की मांग की है ।


किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने राज्यपाल कालराज मिश्र  से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है। जिससे किसानों के 55,250 मैट्रिक टन चना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीदने का रास्ता बन जाये।


जाट ने कहा कि दुसरी ओर राजस्थान के 69,209 किसानो को चना - सरसों व गेहूं की उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बकाया 880.96 करोड़ रुपए एक माह बाद भी प्राप्त नहीं हुये। राजस्थान के किसानों द्वारा उत्पादित 20.70 लाख टन चनों की खरीद अभी तक नहीं हुई हैं बाजार एवं मंडियों में चना बेचने पर किसानों को 1000-1200 प्रति क्विंटल तक का घाटा उठाना पड़ा रहा है। इस घाटे से किसानों को बचाने के लिए 25% के प्रतिबंध को हटाया जाकर कुल उत्पादन में से 50% तक चना की खरीद किया जाना अपरिहार्य है।


 राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि चना की खरीद 60 दिन में ही बन्द कर दी गई जबकि मार्गदर्शिका में 90 दिन खरीद का उल्लेख है। अभी खरीद अवधि 29 जुलाई है जिसे एक माह आगे बढ़ाया जाना आवश्यक हैं।उन्होने कहा कि 11,83,184  किसानों को उनके चनों के दाम 4,875 रूपये प्रति क्विंटल प्राप्त हों सकेंगे।
इसके लिए सरकार की ओर से सार्थक पहल की आवश्यकता हैं।रोचक तथ्य यह है कि अभी तक 25% तक की स्वीकृत सीमा के अनुसार 2,95,546 पंजिकृत किसानों में से भी 58,315 किसानों की चनों की खरीद नहीं हुईं हैं।


जाट ने कहा कि किसानों की ओर से राजस्थान सरकार ने भी भारत सरकार को पत्र भेजकर निरन्तर अनुरोध किया है, तों भी भारत सरकार किसानों की आवाज को अनसुना कर रहीं हैं।यह स्थिति तों तब हैं जब भारत सरकार की मार्गदर्शिका में 25% की सीमा में भी 2.07 % उपज की खरीद शेष हैं अनुसार 55,250 मेट्रिक टन चना की खरीद अभी तक नहीं हुई है।


उन्होने कहा कि राजस्थान की 8 करोड़ जनता की भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए विधानसभा सर्वोत्तम मंच हैं।जहां इस विषय पर 200 विधायकों के मध्य चर्चा के उपरांत विधानसभा में संकल्प पारित किया जाकर किसानों के हितों के संरक्षण के लिए भारत सरकार को भेजा जा सकता है।


 जाट ने राज्यपाल पर किसानों की अनदेखी करने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रतीत होता है कि राजनैतिक
 घमासान के लिए तों राजभवन को शिष्टमंडलों से मिलने का समय है किन्तु इन सब के पेट पालन के लिए अन्न उपजाने वाले अन्नदाता के हितों के विचार के लिए राजभवन भी चिन्तातुर नहीं है।