इतिहास के पन्नो में दर्ज हुआ विश्व कीर्तिमान ।


बीकानेर ,12 जनवरी । राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपनी संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है। राजस्थान के रीति- रिवाज, यहां की वेशभूषा तथा भाषा सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास कराते है। राजस्थान के लोग रंगीन कपड़े और आभूषणों के शौकीन होते हैं। राजस्थान के समाज के कुछ वर्गों में से कई लोग पगड़ी पहनते हैं, जिसे स्थानीय रूप से साफा, पाग या पगड़ी कहा जाता है।

पगड़ी राजस्थान के पहनावे का अभिन्न अंग है। बड़ो के सामने खुले सिर जाना अशुभ माना जाता है। यह लगभग 18 गज लंबे और 9 इंच चैड़े अच्छे रंग का कपड़े के दोनों सिरों पर व्यापक कढ़ाई की गई एक पट्टी होती है, जिसे सलीके से सिर पर लपेट कर पहना जाता है। पगड़ी सिर के चारों ओर विभिन्न व विशिष्ट शैलियों में बाँधी जाती है तथा ये शैलियां विभिन्न जातियों और विभिन्न अवसरों के अनुसार अलग-अलग होती है। रियासती समय में,पगड़ी को उसे पहनने वाले की प्रतिष्ठा (आन) के रूप में माना जाता था। कवि भरत व्यास भी कहते है कि - 

जब तक मरू की संतान रहे, इस पगड़ी का सम्मान रहे।

मरूधर के बच्चे - बच्चे को अपनी पगड़ी पर नाज रहे।।

यही पगड़ी वही पुरानी है, सब ही चीर पहचानी है ।

बीते गौरव के गाथा की केवल यही बची निशानी है।।


लूप्त राजस्थानी संस्कृति बचाने का एक अथक प्रयास 

इसी ऐतिहासिक परम्परा को आगे बढ़ाने का जिम्मा ऊठाया है बीकानेर के कलाकार पवन व्यास ने, व्यास पहले भी अंगुलीयों पर सबसे छोटी राजस्थानी पाग - पगड़ीयां बांध कर विश्व में बीकानेर - राजस्थान का नाम रोशन कर चुके है। 



बनाई विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी 

पगड़ी के कपड़े लम्बाई: 478.50 मीटर (1569.86 फुट)    

पगड़ी: 55 पगड़ी (8.7 मीटर प्रत्येक)

पगड़ी बंधने के बाद परिधी: 7 फुट 8 इंच 

लम्बाई व चैड़ाई: लगभग 2 फुट से अधिक

समय: लगभग 30 मिनट



विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी को लन्दन की वर्ल्ड बुक द्वारा डेटा जाँच करने के उपरांत सत्यपित कर विश्व की सबसे लम्बी पहनने योग्य पगड़ी बताई गई जो बिना किसी ग्लू व  आलपिन के जरिए बनाई गई है।जो कि 1569 फीट(478.5मीटर) लम्बी है । 

वर्ल्ड बुक द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र बीकानेर पूर्व विधायिका सिद्धि कुमारी व उद्यमी सविता पुरोहित द्वारा पवन व्यास को सस्नेह पूर्वक प्रदान किया गया ।सिद्धि कुमारी ने बताया कि वर्ल्ड बुक में बीकानेर का नाम सजने पर मुझे बहुत खुसी है साथ ही महेश सिंह ने कहा कि युवाओ के नवाचार से मुझे बहुत प्रशंसा होती है । 


  वर्ष 2019 में व्यास ने 1-3 सेंटीमीटर की सबसे छोटी 10 अलग अलग तरह की पगड़ी अपनी हाथो की अंगुलियों में बांध कर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया था । हाल ही में बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी का रिकॉर्ड लंदन की वर्ल्ड बुक में दर्ज होने के बाद व्यास के नाम दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी पगड़ी के रिकॉर्ड इनके नाम हो गये ।



11 वर्ष से लगे है जनता की सेवा में:

मानव के क्रमिक विकास के साथ ही उसके वस्त्र-परिधान का भी विकास होना प्रारम्भ हो गया। समय के साथ उसके आचार-व्यवहार, रहन-सहन, खान-पान आदि में बदलाव आया उसी प्रकार उसकी वेशभूषा में भी बदलाव आया। वर्तमान में एक ओर राजस्थानी वेश भूषा और भाषा का प्रचलन कम होता दिख रहा है तो एक ओर बीकानेर के 20 साल के युवा पवन व्यास राजस्थान की अद्भूत संस्कृति बचाने में लगे है। व्यास पिछले 11 वर्षो से साफा बांधने का कार्य कर रहे है, विभिन्न प्रकार के साफे बांधने की कला में माहिर व्यास ने अभी तक हजारों साफे निःशुल्क बांध दिये। उनका कहना है कि मेरा उद्देश्य केवल समाज में साफे की साख बचाएं रखना है। व्यास ने अपनी इस कला का श्रेय अपने गुरूपिता पं. बज्रेश्वर लाल व्यास व चाचा गणेश लाल व्यास को दिया। किकाणी चैक स्थित व्यास परिवार पिछले 4 दशक से अधिक समय से समाज में निःशुल्क साफा बांधने का कार्य कर रहा है। व्यास ने बताया कि वह आदमीयों के सर पर तो साफा बांधते ही है साथ में गणगौर महोत्सव में ईसर व भाये के लिए, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लड्डू गोपाल के व विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार के साफे बांधते है।