सुशासन के सिद्धांतों का खजाना हैं वेद : मुख्यमंत्री




जयपुर, 12 जनवरी। मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत@ashokgehlot51 ने कहा कि वेद सुशासन के सिद्धांतों का खजाना हैं, इन सिद्धांतों को अपनाकर लोक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया जा सकता है।

 उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वेदों में निहित ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वैदिक षिक्षा के संरक्षण तथा इसके अध्यापन के काम को और आगे बढ़ाएगी। 

उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों के चिंतन तथा हमारे पुरातन ज्ञान-विज्ञान के अमूल्य भंडार वैदिक शिक्षा तथा देव-वाणी संस्कृत के प्रसार में सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी।

 गहलोत मंगलवार को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर ‘लोक कल्याणकारी राज्य एवं सुशासन के लिए वैदिक विमर्श‘ विषय पर वर्चुअल रूप से आयोजित राष्ट्रीय वेद सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वैदिक हैरिटेज एवं पाण्डुलिपि शोध संस्थान, राजस्थान संस्कृत अकादमी के पोर्टल तथा ‘पानी बचाओ, बेटी बचाओ, सबको पढ़ाओ, पर्यावरण बचाओ’ के संदेश पर आधारित पोस्टर का लोकार्पण किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सदियों पहले हमारे महान विद्वानों ने वेदों के रूप में जो बेशकीमती खजाना हमें सौंपा है, उसमें पर्यावरण संरक्षण, राजा के कर्तव्य, शासन के सिद्धांत, आदर्श प्रजा, प्रजातांत्रिक मूल्य सहित सभी विषय समाहित हैं। जितनी गहराई में हम वेदों का अध्ययन करते हैं, उतना ही सुशासन देने का हमारा संकल्प और अधिक मजबूत होता है। 

 गहलोत ने इस मौके पर स्वामी विवेकानंद का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया में भारतीय वैदिक संस्कृति के महत्व को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मानवता तथा विश्व शांति के लिए दिया गया उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। वैदिक संस्कृति में बताए गए शांति, सदभाव, समरसता तथा विश्व-बंधुत्व जैसे मूल्यों को अपनाकर युवा पीढ़ी सामाजिक, आर्थिक और वैचारिक रूप से सशक्त बन सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समय विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया गया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के समय ही प्रदेश में आयुर्वेद एवं संस्कृत विष्वविद्यालय की स्थापना की गई। अब हम वैदिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक साहित्य के क्षेत्र में शोध करने वाले विद्यार्थियों को राज्य सरकार प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैदिक ज्ञान का तेजी से प्रसार किया जा सकता है। 

कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थान में गुरू-शिष्य परंपरा पर आधारित 25 वेद विद्यालय तथा संस्कृत शिक्षा निदेशालय का होना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार वैदिक परंपराओं के संरक्षण की दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वैदिक वांड्मय में कहा गया है कि सर्वहित में ही स्वहित निहित है। यही भावना शासन का मूल मंत्र होना चाहिए।