कुंभकर्णी नींद से जगी केन्द्र सरकार

 




  नयी दिल्ली , 25 अप्रैल । देश में कोरोना की दूसरी लहर में रौजाना आक्सीजन की कमी से दम तोड रहे सैकेडों लोगों के बाद आज केन्द्र सरकार ने देशभर के जिला मुख्यालयों पर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जाने की घोषणा की है ।

 घोषणा पर अमल कितने साल में होगा यह एक अलग बात है ।लेकिन केन्द्र सरकार को देश में कोरोना की पहली लहर के बाद ही जिस तरह के चिकित्सा संसाधन जुटाने चाहिए थे उसमे पूरी तरह से विफल साबित रहीं । अब कोरोना की दूसरी लहर में जबकि आक्सीजन की कमी और अस्पतालों में संसाधनों की कमी की वजह से हर दिन सैकेडो जाने जाने के बाद केन्द्र सरकार ने यह निर्णय लिया । देर आए दुरस्त आये । लेकिन यह क्या सौ फीसद है कि जिला मुख्यालयों पर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र राजनीति में चक्करघनी नहीं बने ।? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जिला मुख्यालयों पर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को जल्द से जल्द शुरू किया जाए ।इन ऑक्सीजन संयंत्रों से जिला मुख्यालयों पर अस्पतालों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी


अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के प्रधानमंत्री के निर्देश के तहत पीएम केयर्स फंड ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 551 समर्पित पीएसए ;प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शनद्ध चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए धन आवंटन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। 


ये समर्पित संयंत्र विभिन्न राज्योंध्केंद्रशासित प्रदेशों में जिला मुख्यालयों पर चिन्हित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे। खरीद प्रक्रिया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से की जाएगी।

पीएम केयर्स फंड ने इस साल की शुरुआत में देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त 162 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन ;पीएसएद्ध मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 201ण्58 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि इनमें से प्रत्येक अस्पतालों में कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन की सुविधा बनी रहे। इस तरह से अपने स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन सुविधा से इन अस्पतालों और जिले की दिन.प्रतिदिन की मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। इसके अलावाए तरल चिकित्सा ऑक्सीजन ;एलएमओद्ध कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन के श्टॉप अपश् के रूप में काम करेगा। इस तरह की प्रणाली यह सुनिश्चित कर सकेगी कि जिले के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान न उत्पन्न हो सके और कोरोना मरीजों व अन्य जरूरतमंद मरीजों के लिए निर्बाध रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।

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