एक दिलकश साज़ जो फिज़ाओं में मौजूद हवा को अपने अन्दर खींच कर उसे संगीत में बदल देता है वह है पियानो अकार्डीयनPiano Accordion. ।
इसका मूल यूरोप में इटली और जर्मनी माना जाता हैए लेकिन अपनी इठलाती हुई चाल और शोखियों से भरी आवाज़ की वजह से दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हो गया।
हिन्दी फिल्म संगीत में इसकी शुरुआत का सेहरा संगीतकार सी रामचन्द्र को जाता है। उन्होंने पहली बार फिल्म समाधि ;1950द्ध के गीत गोरे गोरे ओ बांके छोरे में गुडी सरवाई से अकार्डीयन बजवाया।
गुडी सरवाई ने शंकर जयकिशन के साथ कई लोकप्रिय गीतों में अकार्डीयन पर संगीत दिया जैसे आवारा हूं, आजा सनम मधुर चांदनी में हम, सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी, अंधे जहान के अंधे रास्ते, मुझको यारों माफ करना मैं नशे में हूं।
साभार बृज नारायण माथुर की वाॅल से