जयपुर, 10 सितम्बर :{ माइंड प्लस } :पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने 'राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025' को 9 सितंबर 2025 को राज्य विधानसभा में पारित किए जाने की कड़ी निंदा की है।
पीयूसीएल का कहना है कि यह विधेयक विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना किसी चर्चा के पारित किया गया है। इतने महत्वपूर्ण विधेयक, जो संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित करता है, को बिना बहस के जल्दबाजी में पारित करना विधानसभा अध्यक्ष की अलोकतांत्रिक कार्यशैली को दर्शाता है। यह एक क्रूर कानून है, जिसकी वैधता संदिग्ध है। यह व्यक्तियों से उनके संवैधानिक अधिकार—अंतःकरण की स्वतंत्रता—को छीनता है, धर्मांतरण के लिए कठोर प्रक्रियात्मक प्रावधान लागू करता है, और इसमें दी गई सजा के प्रावधान किसी भी अदालत में टिक नहीं सकते।
पीयूसीएल का कहना है कि यह विधेयक संविधान के सभी मौलिक अधिकारों को दरकिनार करता है। ये प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अंतर-धार्मिक संवाद, पसंद, समानता और स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करते हैं, अत्यधिक व्यापक हैं, अत्यधिक दंडात्मक हैं, जटिल प्रक्रियाओं में उलझे हैं, और एक धर्म की नीतियों को बढ़ावा देते हैं। पीयूसीएल इस विधेयक को मंजूरी नहीं देनकर वापस लौटाने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति से गुहार लगाई जाएगी।