अजमेर Ajmer19 फ़रवरी । सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 808 वें सालना उर्स की मजहबी रसूमात चांद दिखने के साथ 24 फ़रवरी या 25 फ़रवरी से शुरू हो जाऐंगी ।
Sufi Saint Hazrat Khwaja Moinuddin Hasan Chishti Ursसालाना उर्स की सदारत ख्वाजा साहब के वंशज एवं सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान साहब परम्परागत रूप से करेंगे। इसके बाद ही उर्स की औपचारिक शुरूआत मानी जाऐगी।
दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख सज्जादानशीन, (दरगाह दीवान साहब ) के सचिव एसण् एण् चिश्ती ने 808 वें उर्स का कार्यक्रम जारी करते हुऐ बताया कि 24 फ़रवरी या 25 फ़रवरी को चांद दिखने के बाद दरगाह स्थित महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल होगी महफिल खाने में आयोजित यह रस्म उर्स में होने वाली प्रमुख धार्मिक रस्मों में से एक प्रमुख रस्म है। सज्जादानशीन, साहब (दरगाह दीवान) परम्परा के अनुसार इसकी सदारत करेंगे इसमें देश की विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित खासी तादाद में जायरीने ख्वाजा मोजूद रहेंगे। इसके अलावा देशभर से आऐ कव्वाल फारसी व हिन्दी में सूफीमत के प्रर्वतकों द्वारा लिखे गऐ कलाम पेश करेंगे।
महफिल के दौरान मध्य रात्री सज्जानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान, साहब उर्स के दौरान ख्वाजा साहब के मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में जाऐंगे जहां उनके द्वारा मजार शरीफ को केवड़ा व गुलाब जल से गुस्ल दिया जाकर चंदन पेश किया जाऐगा। गुस्ल की यह धार्मिक रस्म 5 रजब तक निरंतर जारी रहेगी। इसी प्रकार महफिल खाने में महफिले समा छः रजब यानी कुल के दिन तक बदस्तूर जारी रहेगी।
उन्होने बताया कि 5 रजब को दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान साहब की सदारत में ही खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के जीवन काल में उनके बैठने का स्थान) में दोपहर 3 बजे कदीमी महफिले समा होगी जो शाम 6 बजे तक चलेगी जिसमें देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुख भाग लेंगे महफिल के बाद यहां विशेष दुआ होगी और सज्जादनशीन साहब दस्तूर के मुताबिक देश के समस्त सज्जादगान की मोजूदगी में गरीब नवाज के 808 वे उर्स की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ (जहां गरीब नवाज अपने जीवन काल में उपदेश दिया करते थे) से मुल्क की अवाम व जायरीने ख्वाजा के नाम संदेश (दुआनामा) जारी करेंगे।
उर्स के समापन की रस्म कुल की रस्म के रूप में 6 रजब को होगी जिसके तहत प्रातः महफिल खानें में कुरआन ख्वानी की जाकर 11 बजे कुल की महफिल का आगाज होगा और कव्वालों द्वारा रंग और बधावा पढ़ा जाऐगा तथा दोपहर 1 बजे मोरूसी फातेहाखां द्वारा फातेहा पढ़ी जाऐगी यहां सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) को खिलत पहनाया जाकर दस्तारबंदी की जाऐगी। महफिल खाने से दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान अपने परिवार के साथ आस्ताने शरीफ में कुल की रस्म अदा करने जाऐंगे वे जन्नती दरवाजे से आस्ताना शरीफ में प्रवेश करेगे उनके दाखिल होने के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाऐगा। आस्ताने में कुल की रस्म होगी जिसमें फातेहा होगी ओर सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) की दस्तारबंदी की जाएगी दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान आस्ताने से खानकाह शरीफ जाऐंगे जहां कदीम रस्म के मुताबिक अमला शाहगिर्द पेशां ( मौरूसी अमले ) सहित देश भर की दरगाहों से आऐ सज्जादगान एवं धर्म प्रमुखों की दस्तारबंदी करेंगे।
कुल की रस्म के बाद देशभर से आऐ फुकरा (फकीर) दागोल की रस्म अदा करगे जिनके सरगिरोह की दस्तारबंदी भी सज्जादानशीन (दीवान साहब) द्वारा की जाऐगी। कुल की रस्म के साथ गरीब नवाज के 808 वें उर्स का ओपचारिक रूप से समापन हो जाऐगा।फाइल फोटो साभार गूगल