सरकार किसानो को भटकाना बंद करें -रामपाल जाट 

   



 जयपुर, 14 जुलाई । किसान महापंचयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि
 भारत सरकार देश के किसानो को विदेशो की तर्ज पर व्यापारी बनाने के लिए 4,496 करोड़ रुपये का प्रावधान करने का वक्तव्य देकर किसानो को झांसा दे रही है ।
उन्होने आज एक बयान में कहा कि वर्ष 2016-17 के केन्द्रीय बजट में सरकार ने किसानो की आय 2022 तक दोगुना करने का संकल्प व्यक्त किया था I उसके उपरांत किसानो की आय में बढ़ोतरी तो नहीं हुई, बल्कि उनकी आय घटी है , इस तथ्य को छुपाने के लिए ही भारत सरकार इस प्रकार के वक्तव्य देकर किसानो को भटका रही है ।
  जाट ने कहा कि इसके लिए कृषक उत्पादक संगठन (Farmer Producer organization) बनाकर किसानो को उनकी उपजों का अधिकतम मूल्य दिलाकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का दंभ भर रही है I इस योजना में किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तीन वर्षो में 15 लाख रुपये देने की घोषणा कर रही है, जो कृषक उत्पादक संगठन बनाने के उपरांत प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये दिए जायेंगे ।
 उन्होने कहा कि इससे किसानो को उनकी उपजों के देश भर में उचित दाम प्राप्ति का अवसर उपलब्ध कराने का झुटा विश्वास दिला रही है ।भारत सरकार ने तिलहन एवं दलहन की उपजों पर मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत कुल उत्पादन में से 25% से अधिक की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया। जिससे मूंग-अरहर-उड़द-सरसों-मूंगफली-चना के उत्पादक किसानों को अपनी 75% से अधिक उपजे न्यूनतम समर्थन मूल्यों से भी 1200 से लेकर 3000 रूपये प्रति क्विंटल तक घाटे में बेचनी पड़ी।
  जाट ने कहा कि दालें, खाने के तेल एवं चना विदेशों से मंगाने के कारण इन उपजों के भाव नीचे गिरे, जिसका घाटा किसानों को वहन करना पड़ा। यह स्थिति तो तब है जब देश में 23 मिलियन टन दालों की आवश्यकता है तथा पिछले 3 वर्षों से देश का दलहन का उत्पादन 23 मिलियन टन से अधिक हो रहा है। यह आत्मनिर्भरता के नाम पर देश को विकलांगता की ओर धकेला जा रहा है।
  उन्होने कहा कि भारत सरकार का 10,000 कृषक उत्पादन संगठन पहले चरण में बनाने का लक्ष्य है। दूसरी ओर देश में 93,995 से अधिक प्राथमिक कृषि ऋणदात्री सहकारी समितियां विद्यमान है। नए प्रयोगों के स्थान पर इन जैसी सहकारी समितियों को ही गौण मंडी घोषित किया जाता तो उन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद संभव हो जाती जिससे किसानों को न्यूनतम मूल्य प्राप्ति तो सुनिश्चित हो जाती।