21 सितम्बर को राजस्थान की 247 मंडिया बंद रहेगी ।

जयपुर,19 सितम्बर । संसद में पारित कृषि विधेयक को लेकर पंजाब, हरियाणा,महाराष्ट्र में चल रहीं आन्दोलन की चिंगारी राजस्थान पहुंच गयी है ।
किसानों के हित से जुडे अध्यादेशों को संसद में वृहद बहस कराये बिना पारित कराने से भडके राजस्थान के किसानों ने आन्दोलन का बिंगुल बजा दिया है ।
किसान महापचांयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेता रामपाल जाट ने कहा कि बिना बहस के कृषि विधेयकों को पारित करवा कर सरकार ने आग मे घी डालने का काम कर किसानो के आक्रोश को बढ़ाया है तथा अपने बहुमत के अहकार को दर्शाया है ! दूसरी तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के लिए कानून नही बनाया जबकि "किसानों की सुनिश्चित आय एवं मूल्य का अधिकार विधेयक 2012" के प्रारूप के आधार पर एक निजी विधेयक को लोकसभा द्वारा 8 अगस्त 2014 को सर्व सम्मत रूप से विचारार्थ स्वीकार किया गया था !
जाट ने कहा कि 6 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत भी सरकार ने इसे पारित करने में सार्थक पहल नहीं की। इस कारण किसानो को बाजरा, मक्का, चना, मूंग आदि की उपजो को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 1000 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठा कर बेचने को विवश होना पड़ रहा है ! इसके अतिरिक्त ग्वार, मोठ, अरंडी, महेंदी जैसी राजस्थान की प्रमुख उपजो को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि मे नही लाने से किसानो की अपनी इन उपजे को ओने पोने दामो मे बेचनी पडती है ! अब किसानो के आन्दोलन की गति तेज होगी ं
उन्होने कहा कि 21 सितम्बर सोमवार को प्रदेश की 247 कृषि उपज मंडिया बंद रहेगी ! उस दिन किसान अपनी उपजो को मंडियों मे नही ले जायेंगे वरन वे मंडियों में पहुँच कर इन विधेयको की प्रतिया जलाकर अपना रोष प्रकट करेंगे ! अपने साथ ले जाने वाले टक्टरो एवं मोटरसाइकलों पर काले झंडे लगायेंगे ! प्रदेश के 50 संगठनों ने संघर्ष के समान कार्यक्रम के आधार पर 23 अगस्त को जयपुर के किसान भवन मे आयोजित बैठक मे मंडिया बंद करने का निर्णय लिया था ! उस के उपरांत संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपजिला कलेक्टर एवं तहसीलदारो के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किये जा रहे है !किसान महापंचायत के राष्टीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्त्व मे 8 दिवसीय किसान जागरण यात्रा का आयोजन कर 29 जिलो के किसानो तक सन्देश पहुंचाया गया ! अध्यादेश लाने के उपरांत देश के किसानो की ओर से किसान महापंचायत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी को 14 जून को ही पत्र प्रेषित कर दिया था ! सुनवाई नही होने पर 21 जुलाई को आन्दोलन की चेतावनी के साथ दूसरा पत्र प्रेषित किया गया ।