अरिस्दा का गांधीवादी तरीके से राज्य भर में विरोध प्रदर्शन


जयपुर, 11 दिसंबर। राज्य के सेवारत चिकित्सकों ने अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के तत्वावधान में शुक्रवार 11 दिसंबर को सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन की ओर से जारी असंवैधानिक, मरीजों के लिए अहितकारी गजट नोटिफिकेशन के विरोध में काली पट्टी बांधकर कार्य करते हुए गांधीवादी तरीके से विरोध जताया।


संघ के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ अजय चौधरी ने बताया कि इस नोटिफिकेशन द्वारा आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा में पीजी डिग्रीधारकों को 58 प्रकार की शल्य चिकित्सा की अनुमति प्रदान कर एक ही डिग्री द्वारा दांतों, नाक कान गला, पेट की शल्य चिकित्सा, आंखों की शल्य चिकित्सा करने की अनुमति देने के आदेश जारी किए गए हैं। देशभर में इसके विरोध में शुक्रवार को विभिन्न चिकित्सा संगठनों द्वारा विरोध दिवस मनाया गया। इसी क्रम में अरिसदा की ओर से काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई थी।

ओपीडी एवं आईपीडी सेवाएं रही यथावत सुचारू

अरिस्दा के महासचिव डॉ शंकर बामनिया ने बताया कि नेकोविड महामारी के मद्देनजर जनता की तकलीफों को ध्यान में रखते हुए गांधीवादी तरीके चिकित्सकों ने अपने विरोध का इजहार करते हुए चिकित्सकीय एवं राजकीय कार्य सम्पन्न किए। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार का कार्य बहिष्कार नहीं किया गया। राज्य के सभी राजकीय चिकित्सालयों में ओपीडी एवं आईपीडी सेवाएं यथावत सुचारू रूप से संचालित रही। सेंट्रल काॅउन्सिल आफ इंडिया मेडिसिन की ओर से आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा में पीजी डिग्री धारकों को 58 प्रकार की शल्य चिकित्सा की अनुमति देने से संबंधित जारी किए गए आदेश को असंवैधानिक, गैर जरूरी व मरीजों के लिए अहितकारी करार दिया है। 


प्रदेश प्रवक्ता डॉ ज्योत्स्ना रंगा ने बताया कि आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा की पीजी डिग्रीधारकों को दांत, नाक, कान, गला, पेट की शल्य चिकित्सा, आंखों की शल्य चिकित्सा करने की अनुमति दिया जाना घोर निंदनीय है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले व चिकित्सा की मूल भावना के खिलाफ जारी किए गए इस फरमान को तुरंत वापस लें। इस संबंध में संघ की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री व देश के प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है।