सांभर साल्ट को राजस्थान सरकार जल्द अधिग्रहित करे


 



सांभर, 7 अप्रेल । सांभर झील विशेषज्ञ कैलाश शर्मा ने सुझाया है के सांभर झील को संरक्षित करने और झील एरिया को अतिक्रमण से मुक्त करने का एक ही समाधान है, भारत सरकार के प्रबंधन और राजस्थान सरकार के साझे में चल रही सांभर झील के पानी से नमक बनाने वाली कंपनी सांभर साल्ट लिमिटेड का राजस्थान सरकार जल्द ही अधिग्रहण करे. 

नीति आयोग ने  इस बारे में अगस्त 2018 में एक पत्र के जरिये राजस्थान सरकार को प्रस्ताव दिया था, तब तो विधानसभा चुनाव की सरगर्मिया थी, इस कारण कुछ नहीं हो पाया. उस के बाद लोक सभा चुनाव आ गए. सितम्बर 2019  में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  ने उक्त प्रस्ताव पर पहल की और दो कमेटियों का गठन किया था, जिनमे एक मुख्यसचिव की अध्यक्षता में और दूसरी उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में. दोनों कमेटियों की मीटिंग में ये तय किया गया था के सांभर साल्ट लिमिटेड अपनी सम्पदा सूची और मूल्यांकन रिपोर्ट नवंबर 2019 तक उपलब्ध कराये. लेकिन सांभर साल्ट लिमिटेड प्रबंधन ने आज तक ये सम्पदा सूची और मूल्यांकन रिपोर्ट राजस्थान सरकार को नहीं भेजी है. नतीजा सांभर साल्ट लिमिटेड का राजस्थान सरकार के पक्ष में अधिग्रहण लंबित पड़ा है. 

शर्मा का कहना है सांभर साल्ट ने विगत चार दशक से तो राजस्थान सरकार को लाभांश मद में एक भी पैसा नहीं दिया है. जबकि ये संस्थान यदि सुचारु रूप से चले तो राजस्थान सरकार को केवल नमक उत्पादन के जरिये ही १०० करोड़ रुपये से अधिक का लाभांश दे सकता है.  झील चूँकि सांभर साल्ट लिमिटेड के दायरे में है और सांभर साल्ट के वर्तमान प्रबंधन का राजस्थान सरकार से तारतम्य नहीं है, जिस कारण मीटिंग तक बात रहती है और उस के बाद प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते. 
जहाँ तक बात झील एरिया से अतिक्रमण हटाने की है तो कैलाश शर्मा ने आग्रह किया है के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी स्टैंडिंग कमिटी एक पूरा दिन सांभर झील को दे और झील के चारो तरफ विजिट करे और जो सच है वह देखे. आज भी एक हज़ार से अधिक लोगो ने पाइप लाइन के जरिये झील से पानी की चोरी का सिलसिला चला रखा है और नावा थाने में विगत दस साल से अनेक मुकदमे दर्ज हैं उन सभी के खिलाफ एक्शन लिए जाने की जरुरत है. 

उल्लेखनीय है के आज  मुख्य सचिव  निरंजन आर्य ने कहा था कि सांभर झील राष्ट्रीय महत्व का महत्वपूर्ण रामसर क्षेत्र हैै। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बार- बार होने वाले गैर कानूनी अतिक्रमणों का स्थायी समाधान खोजा जाना जरूरी है। मुख्य सचिव सांभर झील के प्रबन्धन की स्टैंडिंग कमेटी की बुधवार को यहां शासन सचिवालय में  वीडियो कॉफ्रेंस  के माध्यम से आयोजित विभिन्न विभागाें की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे ।
आर्य ने कहा कि सांभर झील के संरक्षण को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। झील क्षेत्र में बार बार होने वाले अतिक्रमण , अवैध बिजली कनेक्शन और अवैध  कब्जे रोकने के लिये स्थानीय जिला प्रशासन ,विभिन्न विभागाें और सांभर सॉल्ट लिमिटेड को समन्वित रूप से प्रयास  करने होंगे। मुख्य सचिव  ने विभिन्न विभागाें के समन्वय से एक टास्क फॉर्स गठित करने के निर्देश देते हुए कहा कि क्षेत्र की निरंतर पेट्रोलिंग आवश्यक है ताकि अवैध बोरवैलों को तुरंत तोडा जा सके और बिजली केबलाें को जब्त किया जा सके।  आर्य ने अतिक्रमण करने वालाें पर दंडात्मक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये।
 बैठक में सांभर झील क्षेत्र की प्रबंधन योजना की क्रियान्वित की समीक्षा भी की गई। 

कैलाश शर्मा ने ये भी कहा है के सांभर झील में आज भी हज़ारो की तादाद में पक्षी मौजूद है लेकिन राजस्थान सरकार के वन और पर्यावरण विभाग ने उनकी सुरक्षा और संरक्षा के लिए जो व्यवहारिक कदम उठाने थे वह नहीं उठाये. इस समय जरुरत है सांभर में वन और पर्यावरण विभाग के एक कार्यालय की जिसके अधीन पांच चौकियां संचालित हो. सांभर में पक्षी विशेषज्ञ तैनात हो जो बर्ड्स एरिया की नियमित विजिट करे. 

शर्मा ने ये भी कहा के राजस्थान सरकार और भारत सरकार ने मिलकर सांभर में पर्यटन विकास पर एक सौ करोड़ रुपये खर्च होना दर्शाया है, जबकि सांभर साल्ट लिमिटेड की एक गलत नीति और अव्यवहारिक अनुबंध के कारण सांभर का टूरिज्म उन्नत होने की बजाय शैशव काल में ही गलघोटू रोग का शिकार हो गया है. इस बारे में पर्यटन विभाग भी असहाय बना हुआ है और चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहा. क्यूंकि जितना डेवलपमेंट हुआ उस पे सांभर साल्ट का कब्ज़ा है और सांभर साल्ट प्रबंधन में बदलाव हुए बिना पर्यटन विकास हो नहीं सकता. 
ऐसे ही एक सुपर मेगा सोलर पावर परियोजना भी लंबित चल रही है उस पर तभी काम हो सकेगा जब सांभर साल्ट अपने वर्तमान प्रबंधन की जकड़न से मुक्त हो और राजस्थान सरकार के दायरे में आये.